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एक्सरसाइज नहीं कर पा रहे तो इसकी भरपाई शारीरिक गतिविधियों से करें

बदलती लाइफस्टाइल से बढ़ती बीमारियां। डॉक्टर सप्ताह में 150 मिनट एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। भारत में भी बड़ी चिंता यही है कि फिट रहने के लिए जिम जाएं या पुराने जमाने की तरह पैदल चलने और घरेलू कार्य करने जैसी आदतें फिर अपनाएं ताकि शारीरिक गतिविधियां बढ़ें।

May 30, 2019 / 07:14 pm

Hemant Pandey

इस लेख को लिखने के दौरान मैं पांच बार अपनी सीट से उठी। चाय बनाने के लिए रसोई में गई, डॉगी की ब्रश से सफाई की, अपना बिस्तर तैयार किया, कुर्सी के पास शरीर की स्ट्रेचिंग और पैरों के लिए एक्सरसाइज की। यह बताने का उद्देश्य केवल इतना है कि अगर हम नियमित रूप से जिम जाकर एक्सरसाइज नहीं करते हैं तो अपनी दैनिक गतिविधियों में एक्टिविटीज बढ़ाकर भी स्वस्थ रह सकते हैं। मुझे जिम जाने से अच्छा यही लगता है। अमरीकन हार्ट एसोसिएशन का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को सप्ताह में कम से कम 150 मिनट हार्ट पंपिंग और मसल्स की मजबूती के लिए व्यायाम करना चाहिए। ज्यादातर लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। इनमें अधिकतर का कहना है कि उनके पास या तो समय नहीं है या फिर उनकी रुचि नहीं है। हालांकि उन्हें पता है कि ऐसा करने से कैंसर, हार्ट डिजीज, तनाव और दूसरी समस्याओं की आशंका कम होती है। शारीरिक गतिविधियों पर शोध करने वाली उटाह यूनिवर्सिटी की बारबरा ब्राउन कहती हैं ‘व्यायाम आप तब करते हैं जब आपको अलग कपड़े पहनने होते हैं। लोग जिम में एक घंटे पसीना बहाते हैं। कुछ को यह पसंद आता है, कुछ को नहीं।

किसी भी रूप में खर्च करें एनर्जी
बारबरा ब्राउन कहती हैं कि जिन्हें जिम जाना पसंद नहीं तो उन्हें एक्टिव लाइफ पर फोकस करना चाहिए। लेखिका डेफने ने लोगों की व्यायाम को लेकर पसंद-नापसंद जानने के बाद शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए नीट ( नॉन एक्सरसाइज एक्टिविटी थर्मोजेनेसिस) फॉर्मूला अपनाया। इसका मतलब सोने, खाने, आराम या एक्सरसाइज करने के अलावा किसी न किसी शारीरिक गतिविधि के रूप में एनर्जी खर्च करने से है।

घर का काम और सीढिय़ां चढऩा भी फायदेमंद
सबसे पहले कुर्सी पर बैठकर काम करने से बचें। शारीरिक गतिविधियों पर अध्ययन करने वाले हार्वर्ड के डॉ. मिन ली का कहना है कि हमारे पास औसतन दिनभर में काम करने के 16 घंटे होते हैं। इसमें बहुत कुछ किया जा सकता है। वे कहते हैं कि सीढ़ियां चढ़ना चाहिए, बैठकर मीटिंग करने की जगह खड़े-खड़े बात कर सकते हैं। कई जगह तो खड़े होकर काम करने का भी कल्चर है, जो सही है। अपने काम खुद करें। कुर्सी पर काम करते हैं तो बीच-बीच में ब्रेक दें। इसके साथ ही किराने का सामान ऊपर ले जाना, कपड़े धोना, फल-सब्जियां बाजार से लाने, घर की सफाई और बागवानी जैसी गतिविधियों से भी कैलोरी बर्न कर सकते हैं। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के एक शोध में पता चला है कि जो बुजुर्ग दिन में अपना बिस्तर भी 4-5 बार खुद ही ठीक करते हैं वे करीब 20 मिनट तेज चलने के बराबर ही कैलोरी बर्न करते हैं। शोध में कहा गया है कि यह काम 20 वर्ष के युवा की कैलोरी बर्न नहीं करेगी लेकिन 90 वर्ष के बुजुर्ग में हुए मेटाबोलिक बदलाव से उनके लिए फायदेमंद है।

कैलोरी खर्च होगी, मोटापा भी घटेगा
नीट का फॉर्मूला खोजने वाले मेयो क्लिनिक से जुड़े रहे हार्मोन रोग विशेषज्ञ जेम्स लेविन का कहना है कि कोई भी व्यक्ति नीट लाइफ स्टाइल अपना सकता है। इसे आजमाने के लिए समान वजन वाले दो लोगों को लिया और इनमें से एक ने जिंदगी आसान करने वाले उपकरणों से दूरी बनाकर व ज्यादा शारीरिक गतिविधियों से प्रतिदिन 350 कैलोरी तक खर्च की। यदि एक्सरसाइज से तुलना करें तो स्टेयर मशीन पर आधा घंटे वर्कआउट करने वाला 70 किग्रा. वजनी व्यक्ति 223 कैलोरी खर्च करेगा। नीट से प्रति मिनट कितनी कैलोरी खर्च होती है इसका फॉर्मूला मेटाबॉलिक रेट व वजन किग्रा. के आधार पर निकाला जाता है। दफ्तर में चहलकदमी से प्रति मिनट तीन कैलोरी और सीढिय़ां चढऩे से सात कैलोरी खर्च होती है। यदि आप ऐसी नौकरी में हैं जहां दिनभर सक्रिय रहना पड़ता है तो ऐसे में नीट फॉर्मूले से कैलोरी खर्च करने की जरूरत नहीं। बारबरा ब्राउन कहती हैं कि हमें उन फिजिकल एक्टिविटीज पर ध्यान देना चाहिए जिन्हें करने में ज्यादा सोचना न पड़े। जैसे- लिफ्ट से दूरी बनाना और सीढिय़ां चढऩे की आदत डालना, साइकिलिंग, पैदल चलना, बीच-बीच में कुर्सी से उठकर चहलकदमी करना आदि।

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