जब आप परेशान हों अपने बच्चों के झगड़े से, तो ऐसे बिठाएं बेलेंस
बच्चों में झगड़ा होता ही है और इस झगड़े को सुलटाना हर पेरेंट्स के लिए
चुनौती। उन्हें समझ ही नहीं आता, इसका निपटारा कैसे करें। बच्चों के आपसी
रिश्तों को सुधारने में पेरेंट्स की बहुत बड़ी भूमिका होती है…
बच्चों में झगड़ा होता ही है और इस झगड़े को सुलटाना हर पेरेंट्स के लिए चुनौती। उन्हें समझ ही नहीं आता, इसका निपटारा कैसे करें। बच्चों के आपसी रिश्तों को सुधारने में पेरेंट्स की बहुत बड़ी भूमिका होती है…
दोनों बच्चों को दें अलग-अलग वक्त बच्चे कई बार आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए भी आपस में झगड़ा करते हैं। झगड़ा कम करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप दोनों को सकारात्मक और अलग-अलग वक्त दें, जिसकी उन्हें वाकई जरूरत है। आप हर रोज केवल 10 से 15 मिनट का वक्त दोनों को अलग-अलग दें। इस दौरान उनके साथ उनकी चुनी एक्टीविटी करें। जब बच्चे अपनी ओर आपका सकारात्मक ध्यान पाएंगे तो कम नकारात्मक होंगे।
उनकी भावनाओं को समझें निपटाने का तरीका बताएं झगड़े के बीच आपके दोनों बच्चे क्या सोचते हैं, उनकी उस वक्त की भावनाओं को समझने में मदद करें और यह भी बताएं कि उससे कैसे निपटना है। मौका देख कर उनसे गुस्सा, ईष्र्या, नाराजगी जैसी भावनाओं पर बात करें और उन्हें बताएं कि इन चीजों से कैसे बाहर निकला जाता है। बच्चों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि उनका वाक्य मैं महसूस करता हूं…Ó से शुरू हो, न कि एक-दूसरे पर दोषारोपण करने से।
रेफरी न बनें जब आप या आपके पति किसी एक बच्चे के पक्ष में बोलने लगते हैं तो यह एक बच्चे को विजेता बनाने और दूसरे को पराजित करने जैसा है। इससे दोनों के बीच के झगड़े को हवा लगती है और उनमें द्वेष भी बढ़ता है, जो आगे झगड़े का रूप लेता है। इसलिए किसी एक की तरफदारी न करें और जज बनने की बजाय मध्यस्थ की भूमिका में आएं। बच्चों को उनकी समस्या का समाधान खुद निकालने दें और आप केवल मदद करें।
चुगली की आदत बिल्कुल न हो बच्चों को चुगली करने और सूचना (इनफॉर्म) देने का अंतर बता दें, ताकि उन्हें पता हो कि चुगली करने के किसी को नुकसान पहुंच सकता है। फिर उन्हें यह बताएं कि अगर कोई तीसरा उन दोनों की चुगली करे तो उस पर कोई प्रतिक्रिया न दें। उन्हें बताएं कि एक-दूसरे पर गुस्सा करना ठीक है, लेकिन चुगली करने से उन्हें बचना चाहिए। लेबल न लगाएं आप कई बार जाने-अनजाने कह ही देती हैं, मेरी यह बेटी और बेटा तो बहुत ही सीधा है या पढऩे में बहुत अच्छा और दूसरा बहुत ही शैतान है, पढ़ाई में कमजोर है आदि। जब आप ऐसा करती हैं तो यह उस बच्चे को नीचा दिखाने जैसा है, जिसकी आपने बुराई की है। दूसरी ओर जिस बच्चे की आपने तारीफ की है, उसमें अहंकार आ जाता है। यह दूरी झगड़े को जन्म देती है। बच्चों की आपस में तुलना कभी नहीं करें।
समझाएं, जिंदगी निष्पक्ष नहीं है आपने उसे ज्यादा दूध दे दिया, मैंने अभी पानी की बोतलें भरी थीं और उसने कुछ नहीं किया,Óआप तो उसे कुछ कहती ही नहीं, चुगली की तरह बच्चों की निष्पक्षता को लेकर की गई शिकायतों पर ध्यान न दें। आप ये कहें, उसके पास दूध भले ही ज्यादा हो, लेकिन तुम्हारे पास टॉफी ज्यादा हैंÓ तुमने देखा नहीं, अभी उसने सारे कपड़े मशीन में डाले हैं,Ó या फिर कहें, जिंदगी में किसी को कम-ज्यादा मिलता ही रहता है। जिंदगी निष्पक्ष नहीं है। इसलिए इस तरह की शिकायतों का कोई मतलब नहीं है।Ó याद रखें, अगर आप इन शिकायतों पर ध्यान देंगी तो झगड़ा और बढ़ेगा।