मंगलवार को ‘जीवन यात्रा में संयोग और वियोग’ विषय पर आयोजित आनलाइन लोक चौपाल में चौधरी के रूप में संगीत विदुषी प्रो. कमला श्रीवास्तव, लोक विदुषी डा. विद्या विन्दु सिंह, लोक साहित्य मर्मज्ञ डा. रामबहादुर मिश्र ने सहभागिता की। संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने विषय प्रवर्तन करते हुए दिवंगत पुण्यात्माओं की संस्थान के प्रति सद्भावना का उल्लेख करते हुए उनसे जुड़े संस्मरण साझा किये।
साहित्यकार डा. सुरभि सिंह ने कहा कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी मित्र, पारिवारिक सदस्य तथा पड़ोसी के वियोग से दुखी है। मन यह सोचने पर विवश हो गया कि जिस प्रकार जीवन अनन्त और चलायमान है उसी प्रकार इस जीवन की यात्रा में मिलने और बिछड़ने की अनुभूतियां भी शाश्वत सत्य हैं। गीता के इस सार्वभौमिक सत्य को स्वीकार किया जाना चाहिए कि मिलना और बिछड़ना एक प्रक्रिया मात्र है।
नवयुग कन्या महाविद्यालय की आचार्य डा. अपूर्वा अवस्थी ने कहा कि जीवन की यात्रा में कौन हमें कब और कैसे मिलेगा यह पूर्व निर्धारित होता है। शरीर नश्वर है किन्तु जब तक हम भौतिक जगत में रहते हैं तो यह शरीर ही हमारी पहचान बनता है। हमारे स्वभाव और कृत कार्य ही यादगार बनते हैं। लोक गायिका पूनम सिंह नेगी ने विभिन्न महामारियों का उल्लेख करते हुए कोरोना संकट भी टल जाने की आशा जतायी।
चौपाल में मधु श्रीवास्तव ने डा. योगेश प्रवीन के लिखे देवी गीत तेरे भवन के चन्दन किंवाड़ को स्वरबद्ध कर प्रस्तुत किया। लोक गायिका अंजलि सिंह, रीता पाण्डेय, चौपाल प्रभारी मंजू श्रीवास्तव ने आरती पाण्डेय द्वारा सिखाये लोक गीत गाये। गौरव गुप्ता, सुषमा अग्रवाल व शशि चिक्कर ने भजन सुनाये। वरिष्ठ साहित्यकार दयानंद पांडेय ने संजोली द्वारा गाये महादेवी वर्मा के गीत मैं नीर भरी दुःख की बदली, एस.के. गोपाल ने योगेश प्रवीन के भजन बजरंग बली मेरी नाव चली मेरी नाव को पार लगाओ नाथ… और वाहिद अली वाहिद की कृति मन रसखान जब डूबता है।