सपा के बाद बसपा में तोडफ़ोड़ की कवायद
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में पूर्ण बहुमत के बाद राज्यसभा में बहुमत पाने के लिए सबसे पहले तेलगू देशम पार्टी के राज्यसभा सांसदों को तोडऩे का काम किया। इसके बाद उसकी नजर सपा सांसदों पर रही। सपा के तीन राज्यसभा सांसद भाजपा ने तोड़ लिए। उसमें से नीरज शेखर भाजपा से सांसद चुने भी जा चुके हैं। भाजपा की नजर अब उप्र में प्रमुख विपक्षी दल बसपा पर है।
एक हिंदी दैनिक में छपी खबर में उच्च सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के चाणक्य के निर्देश पर बसपा में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। माना जा रहा है कि बसपा में तोडफ़ोड़ की कवायद की जिम्मेदारी पश्चिमी उप्र के एक सांसद को सौंपी गयी है। यह सांसद बसपा सुप्रीमो से नाखुश चल रहे हैं। ओबीसी से आने वाले इस सांसद को जिम्मा दिया गया है कि वह बसपा के कम से कम छह सासंदों को तोडकऱ भाजपा में शामिल कराएं। 10 मेंं से 6 सांसदों के टूट जाने पर पार्टी में दल बदल का कानून भी नहीं लागू होगा। भाजपा का मानना है कि मायावती और उनकी पार्टी का मनोबल तोडऩे के लिए बसपा में भी टूट जरूरी है। वैसे भी सांसदों को लग रहा है कि अगले पांच साल तक तो उन्हें कोई बड़ा लाभ बसपा में रहते हुए नहीं मिलने वाला। इसलिए वह भी दल बदल को तैयार हो सकते हैं। बसपा से जीतने वाले सांसदों में से तीन तो मुस्लिम हैं। इन्हें बसपा से दलबदल करने की उम्मीद बेहद कम है। बाकी बचे 7 सांसदों में से कम से कम छह को तोडऩे की कवायद की जा रही है। हालांकि मायावती को इसकी भनक लग चुकी है और वह अपने सांसदों पर कड़ी नजर रख रही हैं।
2019 में उप्र से जीते बसपा के सांसद
1.अफजाल अंसारी-गाजीपुर
2.कुंवर दानिश अली-अमरोहा
3.हाजी फजलुर्रहमान-सहारनपुर
4.संगीता आजाद-लालगंज
5.गिरीश चंद-नगीना
6.मलूक नागर-बिजनौर
7.राम शिरोमणि-श्रावस्ती
8.श्याम सिंह यादव-जौनपुर
9.रितेश पांडेय-अंबेडकरनगर
10.अतुल कुमार-घोसी