मुख्य जिला निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव से जुड़े अफसरों को निर्देश देते हुए बताया कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार चुनाव प्रचार के दौरान 70 लाख रुपए तक खर्च कर सकता है। कोई भी व्यक्ति 50 हजार रुपए से अधिक राशि ले जाता है, तो उसकी गहन जांच की जाये। दोषी पाये जाने पर धनराशि सीज कर लें। लेकिन 50 हजार रुपए से नीचे की धनराशि ले जाते व्यक्ति से पूछताछ कर उसे छोड़ दिया जाये, लेकिन उसका लिखित रिकॉर्ड भी रखा जाये। पकड़े गई धनराशि और सामान की वीडियोग्राफी भी जरूर कराई जाए। इस दौरान जो भी सामग्री/नकदी पकड़ा जाये उसकी प्राप्ति रसीद सम्बन्धित को जरूर दी जाये। उन्होंने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि जांच के नाम पर किसी भी आम आदमी को परेशान न किया जाये। हालांकि, कैंडिडेट का स्टार प्रचारक अनुमति के बाद अपने साथ नकद एक लाख रुपए ले जा सकता है।
https://www.patrika.com/lucknow-news/aachar-sanhita-2019-date-in-up-4236721/ सी-बिजिल ऐप
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने इस बार सी-बिजिल ऐप लांच किया है, जिस पर शिकायतें एवं फोटो अपने मोबाइल से भेज कर दर्ज कराया सकता है। इसके अलावा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन/जनसभा आदि से सम्बन्धित व्यय की जानकारी दी जा सकेगी।
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने इस बार सी-बिजिल ऐप लांच किया है, जिस पर शिकायतें एवं फोटो अपने मोबाइल से भेज कर दर्ज कराया सकता है। इसके अलावा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन/जनसभा आदि से सम्बन्धित व्यय की जानकारी दी जा सकेगी।
क्या है आदर्श चुनाव आचा संहिता – Aachar Sanhita Kya Hai
सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों और उनके समर्थकों को आदर्श चुनाव आचार संहिता का हर हाल में पालन करना होता है। चुनावी शेड्यूल जारी होने के साथ ही चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती है और सभी सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद न तो केन्द्र और न ही राज्य सरकार मंत्री या अफसर नई योजना की शुरुआत या घोषणा नहीं कर सकते। सरकारी दौरों को चुनाव प्रचार के लिए नहीं इस्तेमाल कर सकते और न ही कैबिनेट की बैठक की जा सकेगी। अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादले और तैनाती संबंधी मामलों में चुनाव आयोग की अनुमति ली जानी अनिवार्य है। इसके अलावा प्रत्याशी और राजनीतिक दलों को रैली करने, जुलूस निकालने, मीटिंग करने के लिए इजाजत लेनी होगी और इसकी जानकारी पुलिस को देनी होगी।
सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों और उनके समर्थकों को आदर्श चुनाव आचार संहिता का हर हाल में पालन करना होता है। चुनावी शेड्यूल जारी होने के साथ ही चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती है और सभी सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद न तो केन्द्र और न ही राज्य सरकार मंत्री या अफसर नई योजना की शुरुआत या घोषणा नहीं कर सकते। सरकारी दौरों को चुनाव प्रचार के लिए नहीं इस्तेमाल कर सकते और न ही कैबिनेट की बैठक की जा सकेगी। अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादले और तैनाती संबंधी मामलों में चुनाव आयोग की अनुमति ली जानी अनिवार्य है। इसके अलावा प्रत्याशी और राजनीतिक दलों को रैली करने, जुलूस निकालने, मीटिंग करने के लिए इजाजत लेनी होगी और इसकी जानकारी पुलिस को देनी होगी।
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