न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायामूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने बुधवार को यह आदेश पंचायत राज ग्राम प्रधान संगठन की पीआईएल पर दिया। इसमें प्रदेश की ग्राम पंचायतों में प्रधानो का कार्यकाल खत्म होने के बाद इनमें प्रशासकों की तैनाती किए जाने की करवाई को कानूनी मंशा के खिलाफ बताते हुए इसे संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन कहा गया है।
याची संगठन के अधिवक्ता सीबी पांडेय का कहना था कि वर्ष 2000 में एक अध्यादेश के बाद राज्य सरकार ने यूपी पंचायत राज अधिनियम बनाया जिसकी धारा 12(3)(ए) में कहा गया कि कार्यकाल खत्म होने पर सरकार पंचायतों में प्रशासन समिति या प्रशासक नियुक्त कर सकती है। जबकि इस अध्यादेश को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने असंवैधानिक करार देकर रद्द कर दिया था। ऐसे में राज्य सरकार को प्रशासकों की नियुक्ति नहीं कर सकती है। पांडेय के मुताबिक याचिका में अधिनियम की धारा 12(3)(ए) को चुनौती दी गई है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 243(ई) के तहत पंचायतों का कार्यकाल 5 साल से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। कोर्ट ने पहले शुरूआती सुनवाई के बाद राज्य सरकार समेत पक्षकारों को अगली सुनवाई -20 जनवरी के पहले याचिका पर जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। साथ ही महाधिवक्ता को सुनवाई की नोटिस जारी की थी।