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लखनऊ

ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति को चुनौती मामले की सुनवाई 25 को

– राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पेश करेंगे पक्ष
– पंचायत राज ग्राम प्रधान संगठन की पीआईएल पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

लखनऊJan 20, 2021 / 09:24 pm

Abhishek Gupta

Lucknow Highcourt

लखनऊ हाईकोर्ट

लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह 25 जनवरी को पक्ष पेश करेंगें। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में यूपी सरकार (UP Government) की तरफ से पेश किया जाने वाला जवाबी हलफनामा तैयार हो गया है, जिसे रजिस्ट्री में दाखिल किया जायेगा। इस पर याची संगठन के वकील का कहना था कि उन्हें इसपर प्रतिउत्तर दाखिल नहीं करना है क्योंकि याचिका में शुद्ध कानूनी मुद्दा निहित है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को नियत की है।
न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायामूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने बुधवार को यह आदेश पंचायत राज ग्राम प्रधान संगठन की पीआईएल पर दिया। इसमें प्रदेश की ग्राम पंचायतों में प्रधानो का कार्यकाल खत्म होने के बाद इनमें प्रशासकों की तैनाती किए जाने की करवाई को कानूनी मंशा के खिलाफ बताते हुए इसे संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन कहा गया है।
याची संगठन के अधिवक्ता सीबी पांडेय का कहना था कि वर्ष 2000 में एक अध्यादेश के बाद राज्य सरकार ने यूपी पंचायत राज अधिनियम बनाया जिसकी धारा 12(3)(ए) में कहा गया कि कार्यकाल खत्म होने पर सरकार पंचायतों में प्रशासन समिति या प्रशासक नियुक्त कर सकती है। जबकि इस अध्यादेश को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने असंवैधानिक करार देकर रद्द कर दिया था। ऐसे में राज्य सरकार को प्रशासकों की नियुक्ति नहीं कर सकती है। पांडेय के मुताबिक याचिका में अधिनियम की धारा 12(3)(ए) को चुनौती दी गई है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 243(ई) के तहत पंचायतों का कार्यकाल 5 साल से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। कोर्ट ने पहले शुरूआती सुनवाई के बाद राज्य सरकार समेत पक्षकारों को अगली सुनवाई -20 जनवरी के पहले याचिका पर जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। साथ ही महाधिवक्ता को सुनवाई की नोटिस जारी की थी।
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