‘बॉन्ड’ एक तरह का साख पत्र होता है, जिसके तहत आम लोगों व संस्थाओं से धन जुटाया जाता है। निकायों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए नगर निगम के पास म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने का विकल्प है। नगर निगम को जब अपने प्रोजेक्ट पूरा करने, सड़क या स्कूल बनाने या सरकारी कामों के लिए पैसे की जरूरत होती है तो वह भी बॉण्ड जारी कर सकता है। लेकिन, सेबी की गाइडलाइन पूरा करने वाले नगर निगम ही म्युनिसिपल बॉन्ड जारी कर सकते हैं।
वर्ष 2015 में सेबी ने शहरी निकायों के लिए म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये थे। निर्देशों के मुताबिक,
जिन नगर निगमों का नेटवर्थ लगातार पिछले तीन वित्त वर्ष तक निगेटिव नहीं रहा हो और न ही वह बीते वर्ष में डिफाल्टर रहे हैं। इसके अलावा कर्ज व घाटे की स्थिति, नगरीय विकास कर एवं अन्य टैक्स समय पर वसूलना और आय-व्यय के लेखों में पारदर्शिता आदि मानकों को पूरा करने वाले नगर निगम अपना बॉन्ड जारी कर सकते हैं।
जिन नगर निगमों का नेटवर्थ लगातार पिछले तीन वित्त वर्ष तक निगेटिव नहीं रहा हो और न ही वह बीते वर्ष में डिफाल्टर रहे हैं। इसके अलावा कर्ज व घाटे की स्थिति, नगरीय विकास कर एवं अन्य टैक्स समय पर वसूलना और आय-व्यय के लेखों में पारदर्शिता आदि मानकों को पूरा करने वाले नगर निगम अपना बॉन्ड जारी कर सकते हैं।
नवम्बर से जारी हुआ था लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बॉण्ड
लखनऊ नगर निगम इसी वर्ष नवम्बर में 200 करोड़ रुपए का बॉन्ड जारी किया था। इस बांड इश्यू से जुटने वाली रकम को केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत एक जलापूर्ति प्रॉजेक्ट और एक हाउसिंग प्रॉजेक्ट में निवेश किया जाएगा। बीएसई से लिस्टेड होते ही लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बॉन्ड के जरिए 200 करोड़ रुपये जुटाए गये। शेयर मार्केट में सूचीबद्ध होने के बाद एक्सचेंज के जरिए आम क्या खास कोई भी निवेश कर सकता है। म्युनिसिपल बॉण्ड काफी सुरक्षित माने जाते हैं और इन पर भी ब्याज दर अच्छी मिल जाती है। जानकारी के मुताबिक, लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बॉण्ड की परिपक्वता अवधि (मैच्योरिटी) 10 वर्ष है। मतलब आपको इसमें कम से कम 10 वर्ष के लिए निवेश करना होगा। इस दौरान आपको 8.5 फीसदी की दर वार्षिक ब्याज मिलेगा। बॉन्ड पर मिल रहा रिटर्न पूरी तरह से आयकर मुक्त होता है।
लखनऊ नगर निगम इसी वर्ष नवम्बर में 200 करोड़ रुपए का बॉन्ड जारी किया था। इस बांड इश्यू से जुटने वाली रकम को केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत एक जलापूर्ति प्रॉजेक्ट और एक हाउसिंग प्रॉजेक्ट में निवेश किया जाएगा। बीएसई से लिस्टेड होते ही लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बॉन्ड के जरिए 200 करोड़ रुपये जुटाए गये। शेयर मार्केट में सूचीबद्ध होने के बाद एक्सचेंज के जरिए आम क्या खास कोई भी निवेश कर सकता है। म्युनिसिपल बॉण्ड काफी सुरक्षित माने जाते हैं और इन पर भी ब्याज दर अच्छी मिल जाती है। जानकारी के मुताबिक, लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बॉण्ड की परिपक्वता अवधि (मैच्योरिटी) 10 वर्ष है। मतलब आपको इसमें कम से कम 10 वर्ष के लिए निवेश करना होगा। इस दौरान आपको 8.5 फीसदी की दर वार्षिक ब्याज मिलेगा। बॉन्ड पर मिल रहा रिटर्न पूरी तरह से आयकर मुक्त होता है।