बीते बुधवार को कांग्रेस ने जैसे ही राहुल गांधी की बहन प्रियंका को महासचिव बनाए जाने का आदेश जारी किया, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में समर्थकों का जमावड़ा बढऩे लगा। राजनीतिक प्रेक्षकों ने कांग्रेस की इस चाल को ट्रंप कार्ड बताया है। पहले से इस बात की चर्चा थी कि लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस अपने दो तुरुप के पत्ते खोल सकती है। एक तुरुप का पत्ता प्रियंका गांधी और दूसरा वरुण गांधी।
भले ही सोनिया गांधी और मेनका गांधी के बीच रिश्ते बहुत अच्छे न रहे हों फिर भी वरुण गांधी अपनी चचेरी बहन प्रियंका से काफी नजदीक रहे हैं। प्रियंका और वरुण बीच संबंध मधुर हैं। दोनों व्यक्तिगत तौर पर और सार्वजनिक रूप से मिलते रहते हैं। दोनों ही भाई-बहन होने का रिश्ता निभाते रहे हैं। इस बात को मेनका ने भी अपने पुत्र को मना नहीं किया।
वर्ष 2014 में वरूण गांधी ने जब सुलतानपुर से चुनाव लडऩे का पर्चा बीजेपी से भरा था, तब प्रियंका गांधी ने उनकी आलोचना की थी। प्रियंका ने कहा था कि वरुण ने गांधी परिवार के साथ गद्दारी की है, यह विचारों की लड़ाई है। प्रियंका के इस बयान पर वरुण गांधी ने भी उन पर पलटवार किया था। उन्होंने कहा था कि प्रियंका गांधी अपनी शिष्टाचार की सीमा लांघ रही हैं। इन सबके बाद भी दोनों के रिश्तों में खटास नहीं पड़ी। अब कांग्रेस में वरुण को भी बड़े कांग्रेसी नेता के रूप में देखा जाने लगा है।