इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोग इस कैफे की जगह पर रेस्टोरेंट खोलना चाहते हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि वह बगल वाली बिल्डिंग जेपीएनआईसी में टेंडर के जरिए रेस्टोरेंट हासिल करें। सरकार यह जगह तो छीन सकती है लेकिन शीरोज कैफे को बंद नहीं कर सकती। इस जगह को बसपा ने बनाया था , बाद में एसिड अटैक फाइटर्स के लिए यहां कैफे खोला गया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को सरकार आगरा एक्सप्रेस वे के किनारे भी रेस्टोरेंट खुलवा सकती है लेकिन पीड़िताओं को परेशान न करे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता इस सरकार से बहुत परेशान हो चुकी है। अब बस लोगों को चुनाव का इंतजार है।
लगभग 45 मिनट तक रुके अखिलेश-डिंपल शीरोज में अखिलेश लगभग 45 मिनट तक रुके। इस दौरान सपा के मुख्य प्रवक्ता पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी, जूही सिंह, अनुराग भदौरिया, कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत समेत अन्य नेता भी थे। एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं के शीरोज कैफे के मामले में सवाल पूछने पर उन्होंने कहा सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस मामले में राजनीति कर रहे हैं। इन महिलाओं को जिन शर्तों पर कैफे संचालित करने की मंजूरी दी गई थी, उसे पूरा नहीं किया गया जिस पर सवाल पूछे गए।
रीता ने दिया जवाब
कानपुर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंची महिला कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि सरकार शीरोज कैफे बन्द करने नहीं जा रही। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं के स्किल डेवलपमेंट की लिए कोई काम नहीं किया गया। कैफे में इन्हें वेटर बना कर के रखा गया. हमारी सरकार उनका स्किल डेवलपमेंट कर इन्हें और बेहतर रोजगार मुहैया कराएगी।
कानपुर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंची महिला कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि सरकार शीरोज कैफे बन्द करने नहीं जा रही। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं के स्किल डेवलपमेंट की लिए कोई काम नहीं किया गया। कैफे में इन्हें वेटर बना कर के रखा गया. हमारी सरकार उनका स्किल डेवलपमेंट कर इन्हें और बेहतर रोजगार मुहैया कराएगी।
राजबब्बर ने भी उठाई थी आवाज बीते सोमवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर शीरोज कैफे पहुंचे और पीड़िताओं से मुलाकात की। उन्होंने सभी को दिलासा दिया और कहा कि हम आपके साथ खड़े हैं।राजबब्बर ने कहा कि समाज और सरकार को कलंकित होना चाहिए कि इन युवतियों-महिलाओं पर इतना अत्याचार किया गया है, जिनको ये चेहरे बता रहे हैं। इसके लिए ना तो इनका इलाज कराया जा रहा है और ना ही इन्हें कोई अनुदान या वजीफा दिया जा रहा है। जबकि दिल्ली में एसिड पीड़िताओं को पेंशन दी जाती है।
आपको बता दें कि महिला कल्याण निगम ने जमीन खाली करने और सामान जमा करने के आदेश दिए थे। इसे 29 सिंतबर को कैफे परिसर को खाली करने को कहा गया था अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने इसे खाली करने के लिए 3 हफ्ते का समय दिया है।