2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने भारी जीत दर्ज की थी। यूपी के लोकसभा के 80 सीटों में भाजपा और उनके सहयोगी दलों को 73 सीटें मिलीं थी और वहीं सपा को केवल पांच, कांग्रेस को दो और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। उसके बाद से ये दोनों पाटियां इस बात को समझ गईं की अगर यूपी में भाजपा को मात देना है तो दोनों पार्टियों को साथ आना होगा और यही होता देखा जा रहा है और इसका ताजा उदाहरण है सपा के उम्मीदवारों का बसपा द्वारा समर्थन करना।
यूपी में विधानसभा चुनाव का परिणाम आने से पहले ही अखिलेश यादव ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि सपा बसपा के साथ चुनाव लडऩे में कोई परहेज नहीं करेगी। इसका मतलब साफ था कि अखिलेश यादव बसपा से गठबंधन करना चाहते हैं। तभी से अखिलेश यादव बार बार यह पहल करते रहे कि बसपा से गठबंधन कर अगर चुनाव लड़ा जाए तो भाजपा को मात दिया जा सकता है। अब जिस तरह से सपा का बसपा ने उप चुनाव में साथ दिया है उससे तो यही लगता है कि सपा और बसपा के बीच आने वाले समय में गठबंधन की संभावनाएं बन सकती हैं और दोनों लोकसभा २०१९ का चुनाव साथ मिल कर लड़ सकते हैं।
यूपी विधानसभा 2017 के चुनाव में बसपा की करारी हार के बाद मायावती को भी ह समझ में आ गया था कि अब भाजपा का अकेले दम पर मुकाबला कर पाना आसान नहीं है। शायद इसीलिए उन्होंने अखिलेश यादव के पहल पर अमल किया और उप चुनाव में सपा को समर्थन देने का ऐलान किया और इसका नतीजा आज सबके सामने है।