जानें अखिलेश क्या बोले- -भाजपा की जो ताकत है उससे लड़ना है ,क्योंकि जब वो चाहते है तो ध्यान हटा देते है -आज भी किसान तकलीफ में है ,जोंकीसँ काफी वक्त से इंतज़ार कर रहा है आज वो आत्महत्या कर ले रहा है ।
-नोट बंदी से व्यापार पर भी असर पड़ा और रोजगार पर भी ,इसकी रिपोर्ट आ गयी । -जिला अस्पताल और ,कानून व्यवस्था क्या मंत्री के सदन में कहने से सही हो जाएगी ।
-इस नाराजगी को वोट में बदलने के लिए जनता बैठी है ,अभी जो उपचुनाव हुए है उसमें जनता ने भाजपा को सबक सिखाया है । -अगर प्रदेश आगे नही बढ़ता है तो सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना नवजवानों को करना पड़ रहा है ।
-उत्तर प्रदेश का और देश का चुनाव जैसे जैसे नजदीक आएगा तो कई चीजें देखने को मिलेगी ,इसमे कोई शक नही की इसमे बीजेपी का हाथ नही हो सकता । -मैं नाराज हूँ तो मैं कहाँ चला जाऊं , मुद्दा बदलना और ध्यान हटाने में काफी तेज है
-मैं बहुत ज्यादा आरएसएस के बारे में नही जानता और ना ही पड़ता हं ,हां इतना जानता हूँ कि जब आरएसएस पर बैन हुआ किया गया था तो क्यों हुआ था । -आप हमारे ध्यान चुनाव से न हटाये काम करने दे, हम अपना ध्यान 2019 के चुनाव पर लगाये हुए जिससे ज्यादा से ज्यादा सीट जीत सके । ध्यान कोई न हटा सके ।
शिवपाल ने पार्टी छोड़ने की बताई ये वजह
शिवपाल यादव ने नए मोर्चे के गठन के एलान के वक्त कहा कि सपा में अपनी इज्जत न होने से मैं आहत हूं। मुझे किसी भी मीटिंग में नहीं बुलाया जाता था। उन्होंने ये भी कहा कि उस पार्टी में अब नेताजी का भी सम्मान नहीं किया जाता है। उनकी उपेक्षा से मैं बहुत दुखी हूं। उन्होंने कहा कि जकिा भी सम्मान सपा में नहीं हो रहा है, वे हमारी पार्टी में आ जाएं। शिवपाल सिंह ने भाजपा में जाने की बात को अफवाह बताया। बता दें कि मंगलवार को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव के बीच काफी देर गुफ्तगू हुई थी। सूत्रों के मुताबिक दोनों के बीच सेक्युलर मोर्चे को लेकर अहम बातचीत हुई थी। इससे पहले लोहिया ट्रस्ट की बैठक में सोमवार को ही मुलायम-शिवपाल ने ट्रस्ट के कार्यों की गहन समीक्षा और आगामी लोकसभा चुनाव पर चर्चा की थी।