लखनऊ

इजाजत है!…बलात्कार पीड़ित बच्ची को अनचाहा गर्भ गिराने की

इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता (Minor rape victim) को अनचाहा गर्भ (unwanted pregnancy) गिराने की इजाजत दे दी।

लखनऊJul 20, 2019 / 12:24 pm

आकांक्षा सिंह

इजाजत है!…बलात्कार पीड़ित बच्ची को अनचाहा गर्भ गिराने की

लखनऊ. इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता (Minor rape victim) को अनचाहा गर्भ (unwanted pregnancy) गिराने की इजाजत दे दी। अदालत ने गर्भपात करने वाले डॉक्टरों के पैनल से कहा है कि वह भ्रूण के अवशेष को बचाकर रखें ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर उसकी वैज्ञानिक पड़ताल की जा सके। न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की पीठ ने बलात्कार नाबालिग पीड़िता के पिता की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में कहा गया था कि पीड़ित लड़की का बलात्कार (Rape) हुआ है और वह इसी के परिणाम स्वरूप 21 सप्ताह की गर्भवती है। यह बलात्कार का नतीजा है। वह उस बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती क्योंकि यह उसे सारी जिंदगी उस ना भुलाए जा सकने वाले हादसे की याद दिलाता रहेगा। बच्ची के बलात्कार के मामले में उसके पिता की ही उम्र के एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।

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17 जुलाई को अदालत ने दिए थे पैनल गठित करने के निर्देश

17 जुलाई को अदालत ने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (King George’s Medical University) को निर्देश दिए थे कि वह डॉक्टरों का एक पैनल गठित करें, जो यह देखे कि क्या ऐसी हालत में बच्ची का गर्भपात कराया जा सकता है या नहीं। खासकर बलात्कार पीड़िता की शारीरिक और मानसिक स्थिति को देखते हुए ऐसा करना ठीक होगा या नहीं। मेडिकल यूनिवर्सिटी (Medical University) के वकील अभिनव त्रिवेदी ने गुरुवार को अदालत में पैनल की रिपोर्ट पेश की। इस पर अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर और बुलबुल गोदियाल से न्याय मित्र के तौर पर मदद करने की गुजारिश की। दोनों वकीलों ने शुक्रवार को अदालत में विस्तार से अपनी बात रखी और पीठ को सुझाव दिया कि इस मामले में बलात्कार पीड़िता का गर्भपात कराने की इजाजत देना न्याय पूर्ण होगा।

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क्या है पूरा मामला

एक नाबालिग रेप पीड़िता ने 21 सप्ताह का गर्भ गिराने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दरअसल, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट (Medical termination of pregnancy act) के तहत 20 हफ्ते तक ही गर्भपात की इजाजत है। कोर्ट में पीड़िता की ओर से उसके पिता ने याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि पीड़िता के साथ उसके पिता से भी अधिक उम्र के व्यक्ति ने दुष्कर्म किया। इससे वह गर्भवती हो गई। इस मामले में पीड़िता के पिता ने एफआईआर भी दर्ज करवाई है। याचिका में बताया गया है कि पीड़िता 21 सप्ताह से गर्भवती है। नियम पूर्वक उसका गर्भपात नहीं करवाया जा सकता। ऐसे में याची ने विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए गर्भपात करवाने की अनुमति देने की गुजारिश की है।

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