कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित आपको बता दें कि बेसिक शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादलों को दिव्या गोस्वामी, जयप्रकाश शुक्ल सहित अन्य कई अध्यापकों ने याचिका दाखिल कर अलग-अलग आधारों पर चुनौती दी है। जिस पर जज अजीत कुमार सुनवाई कर रहे हैं। कोर्ट ने वकीलों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला 15 अक्टूबर को सुरक्षित करते हुए तीन नवंबर की तारीख दी थी।
नियमों का पालन न करने का आरोप दरअसल याचिकाकर्ताओं का अंतरजनपदीय तबादले के तहत पुरुष और महिला अध्यापिकाओं के ट्रांसफर के लिए तय नियमों और पूर्व के आदेशों का पालन नहीं करने का आरोप है। याचिका में कहा गया है कि तबादले 2008 की नियमावली के विपरीत किए जा रहे हैं। नई स्थानांतरण नीति में प्राविधान है कि एक बार जिस शिक्षक ने स्थानांतरण ले लिया, वह दोबारा नहीं ले सकता। जबकि 2017 के शासनादेश में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। जिसे 2018 में हटा लिया गया था। अब 2019 के शासनादेश में फिर से वही प्रावधान लागू कर दिया गया, जो गलत है।
आज आएगा फैसला याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ये नियमित स्थानांतरण नहीं है। जिन अध्यापकों को पहले अपने गृह जिले में नियुक्ति नहीं मिली उनको दोबारा स्थानांतरण की मांग करने का पूरा अधिकार है। इस अधिकार को उनसे छीना नहीं जा सकता। जबकि नियमावली में बदलाव करने का कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया गया है। इन्हीं तमाम आरोपों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। जिसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग अपनी आगे की रणनीति तय करेगा।