ऐसा नहीं है कि डंूगरपुर में प्रतिभाएं नहीं हैं। कमी उसे अवसर देने की है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा का ढांचा और सुविधा मजबूत नहीं है। सर्व शिक्षा, शिक्षा का अधिकार कानून जैसे कदम भी इस कमी को पाट नहीं पा रहे। भ्रष्टाचार ने व्यवस्था को ही बिगाड़ दिया है। बजट में सरकार को एक बड़ा हिस्सा शिक्षा के लिए खर्च करने के साथ ही पर्यवेक्षण व्यवस्था विकसित करनी चाहिए, ताकि जितनी राशि खर्च हो, उसका वास्तविक लाभ मिल सके।
यह विचार राजस्थान पत्रिका की ओर से आम बजट को लेकर चल रही टॉक शो सीरिज में मंगलवार को युवाओं ने व्यक्त किए। युवक-युवतियों ने एक स्वर में कहा कि अवसर मिलें तो हम भी ऊंचाई छूने का जज्बा रखते हैं।
पढऩा हो तो बाहर जाओ
कॉलेज छात्रा काजल कालरा, हिमानी नरवारिया, हीना कलाल ने कहा कि डूंगरपुर में पढऩे की सुविधा नहीं के बराबर है। सरकारी विद्यालयों और कॉलेजों की स्थिति खराब है। उच्च व तकनीकी शिक्षा के लिए उदयपुर, कोटा, जयपुर, अहमदाबाद जाना पड़ता है। हर अभिभावक यह जिम्मेदारी नहीं उठा सकता। खासकर लड़कियों के लिए ज्यादा समस्या है। बजट में डूंगरपुर को शिक्षा की बड़ी सौगात मिलनी चाहिए।
जॉब फेसिलिटी ही नहीं
छात्र जयकिशन स्वर्णकार, हाशिम शेख, अविनाश सोमपुरा, शुभम पंचाल व विपिन गर्ग कहते हैं कि युवा बीए, एमए, बीएससी, बीसीए, एमबीए सहित ढेरों डिग्री लेकर बेरोजगार घूम रहे हैं। सरकारी नौकरी तो दूर की बात, जिले में उनके शिक्षण और हुनर के स्तर की ढंग की प्राइवेट जॉब तक नहीं मिल पाती है। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षण सुविधाओं के विस्तार के साथ-साथ बेहतर रोजगार के लिए अवसर पैदा करे, ताकि युवाओं को पलायन नहीं करना पड़े। उनकी क्षमताओं और योग्यताओं का लाभ जिले को मिल सके।
छात्रवृति में न हो भेदभाव
आयुषी पण्ड्या, प्रतीति कोठारी, लतिका पटेल, एेश्वर्या व्यास ने कहा कि छात्रवृति जाति की बजाय योग्यता आधारित होनी चाहिए। कई होनहार विद्यार्थी आर्थिक कारणों के चलते आगे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। सरकार बजट में ऐसे प्रावधान करें, जिससे हर उस बच्चे को पढऩे का अवसर मिले, जो पढऩा चाहता है। चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो।
रिक्त नहीं रहे पद
अधिकांश युवाओं ने कहा कि जिले में चार सरकारी महाविद्यालय, पॉलीटेक्निक कॉलेज और आईटीआई हैं, लेकिन रिक्त पदों के चलते उनका कोई औचित्य ही नहीं है। कई व्याख्याता नियमित क्लास नहीं लेते। जिले के युवा सिर्फ एडमिशन लेकर डिग्री हासिल कर रहे हैं। उनके नॉलेज का स्तर काफी निम्न रह जाता है, जिससे वे बाहर जाकर अच्छी जॉब नहीं पा सकते।
तहसील स्तर पर हों कॉलेज
भव्यराजसिंह, विनय कलाल ने कहा कि तहसील मुख्यालयों पर महाविद्यालय होना चाहिए।डूंगरपुर में कृषि महाविद्यालय की भी महती आवश्यकता है। मेडिकल कॉलेज का निर्माण और संचालन जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए।
औद्योगिक विकास हो
भूमिका पाटीदार व नूपुर शक्तावत ने कहा कि जिले का औद्योगिक विकास नहीं के बराबर है। इंडस्ट्रीज आनी चाहिए। इससे अन्य विकास तो होगा ही, रोजगार की सुविधा भी बढ़ेगी। रेल परियोजना को भी समय पर पूरा होना जरूरी है।
चिकित्सा सेवाओं में हो विस्तार
इलेश जोशी व धु्रव जोशी ने कहा कि जिले में चिकित्सा का ढंाचा भी कमजोर है। जिला अस्पताल में सामान्य बीमारियों का भी पूर्ण इलाज नहीं मिल पाता है। चिकित्सकों के पद रिक्त होने से हर तीसरे मरीज को रैफर कर दिया जाता है। गरीब व्यक्ति बाहर जाकर कैसे अपना इलाज कराएगा। सरकार को इस पर ध्यान देना होगा।
आवागमन सुचारू हो
भव्यराजसिंह ने कहा कि शिक्षा, रोजगार या अन्य कोई भी तथ्य कनेक्टीविटी के बिना इसकी सुविधा नहीं मिल सकती। सरकार को आवागमन पर भी फोकस करना चाहिए। उन्होंने देवला में संगमेश्वर के समीप प्रस्तावित पुल निर्माण की भी पैरवी की।
रेवडिय़ां नहीं ज्ञान बांटें
सभी युवाओं ने सामूहिक राय व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार लेपटॉप, टेबलेट के रूप में रेवडिय़ां नहीं बांटकर ज्ञान बांटे। लेपटॉप व टेबलेट वितरण से पहले उनके सदुपयोग का प्रशिक्षण होना चाहिए और वितरण के बाद फॉलोअप भी।