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भाजपा का प्रत्याशी तय नहीं, लेकिन बगावत शुरू, प्रचार भी नहीं करने आएगा कोई केंद्रीय मंत्री

locationलखनऊPublished: Feb 15, 2018 12:13:15 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

इलाहाबाद के फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में दावेदारों के बगावती शुरू को देखते हुए केंद्रीय संगठन ने बड़ा फैसला लिया है

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश राजनीति का सबसे बड़ा गढ़ है। सारी राजनीति वहीं से शुरू होती है। इसी कड़ी में यूपी की 2 लोकसभा सीटों गोरखपुर और फूलपूर में उपचुनाव की घोषणा कर दी गई है। इस घोषणा के बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सभी की नजरें इस उपचुनाव पर टिकी हुई है। इसी को लेकर भाजपा में बगावत शुरू हो गई है। नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब दावेदारों के बीच रार की स्थिति पैदा होते दिख रही है। इसके चलते केंद्रीय संगठन ने बड़ा फैसला लिया है। अब भाजपा के कोई भी केंद्रीय मंत्री फूलपुर के उप चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए नहीं आएगा। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है कि बगावती सुर वाले दावेदारों की नजदीकी केंद्रीय मंत्रियों से हैं। ऐसे में स्थिति डावांडोल न हो और अनुशासन बना रहे इसलिये केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में प्रचार के लिए ना बुलाने का फैसला लिया गया है।
विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था बवाल

जानकारी हो कि विधानसभा चुनाव के दौरान सोरांव विधानसभा सीट गठबंधन वाले दल अपना दल को मिली थी, लेकिन बगावती सुर व बड़े नेताओं से संबंध के चलते यहां सुरेंद्र चौधरी भाजपा से प्रत्याशी बन गये और अपना दल प्रत्याशी के सामने हो गए। तब अनुप्रिया पटेल ने गठबंधन तोड़ने और भाजपा के खिलाफ अन्य सीटों पर प्रत्याशी उतारने की धमकी तक दे डाली थी। बात बिगड़ती गयी और भाजपा से सुरेंद्र चौधरी और अपना दल से जमुना प्रसाद सरोज ने नामांकन कर दिया था। सुरेंद्र चौधरी केशव प्रसाद मौर्य के बेहद नजदीकी थे इस वजह से उनके नाम की घोषणा हो गई थी। उन्होंने भाजपा के सिंबल पर ही नामांकन कर दिया था और उन्हें चुनाव चिन्ह के तौर पर कमल का फूल मिल गया था। बात बिगड़ती गयी और भाजपा से सुरेंद्र चौधरी और अपना दल से जमुना प्रसाद सरोज ने नामांकन कर दिया था। सुरेंद्र चौधरी केशव प्रसाद मौर्य के बेहद नजदीकी थे इस वजह से उनके नाम की घोषणा हो गई थी। उन्होंने भाजपा के सिंबल पर ही नामांकन कर दिया था और उन्हें चुनाव चिन्ह के तौर पर कमल का फूल मिल गया था।

वहीं बात आगे बढ़ी तो सुरेंद्र चौधरी व जमुना प्रसाद सरोज के बीच विवाद खड़ा हो गया।आपसी रंजिश में गोली चली और मारपीट के बाद मामला थाने तक पहुंच गया। जब भाजपा की किरकिरी होना शुरू हो गई तो केंद्रीय संगठन ने मामले में हस्तक्षेप किया। सुरेंद्र चौधरी की दावेदारी को खारिज कर दी गई और उनका प्रत्याशी से नाम हटा दिया, लेकिन तब तक हाथ से बाजी निकल चुकी थी, सुरेंद्र चौधरी को कमल का निशान आवंटित हो चुका था।
बाद में केशव मौर्य ने खुद आकर सुरेंद्र चौधरी को बैक किया और जनता से अपील की थी कि वह कप प्लेट पर वोट करें, गठबंधन के प्रत्याशी को वोट करें। बावजूद इसके चुनाव हुआ तो हजारों लोगों ने कमल के फूल पर वोट दिया था। जबकि यह सीट गठबंधन के खाते में गई थी और यहां पर अपना दल एस के प्रत्याशी जमुना सरोज थे।
अंत में कप प्लेट के चुनाव चिन्ह पर लड़े जमुना प्रसाद सरोज की ही जीत हुई थी। फिर से वैसी ही स्थिति लोकसभा चुनाव के दौरान ना हो भाजपा के वोट आपस में ही दावेदारों के बीच ना बट जाए, इसलिए पहले से ही भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
जानिए कौन होंगे स्टार प्रचारक

जानकारी के मुताबिक अनुप्रिया पटेल स्थानीय नेता होने के कारण प्रचार में शामिल हो सकती हैं। वहीं अन्य स्टर प्रचारक भाजपा के यूपी अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडे, संगठन महामंत्री सुनील बंसल, कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, सिद्धार्थ नाथ सिंह, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, अभिलाषा गुप्ता आदि शामिल है। हालांकि केंद्रीय मंत्री प्रचार प्रसार में शामिल होने नहीं आएगा। इन सबकी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर होगी।
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