अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में हाजिर होना जरूरी नहीं समिति की सिफारिश के आधार पर दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक-2018 विधानमंडल में पारित कराकर राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा गया था, जिसे राष्ट्रपति ने एक जून, 2019 को मंजूर करते हुए हस्ताक्षर कर दिए। ऐसे में संशोधित अधिनियम छह जून, 2019 से यूपी में लागू हो गया है। अब अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान अभियुक्त का उपस्थित रहना भी जरूरी नहीं होगा। संबंधित मुकदमे में पूछताछ के लिए जब बुलाया जाएगा, तब पुलिस अधिकारी या विवेचक के समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा। इसके अलावा मामले से जुड़े गवाहों व अन्य व्यक्तियों को न धमका सकेंगे और न ही किसी तरह का आश्वासन देंगे।
एससीएसटी एक्ट में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत आपातकाल के दौरान प्रदेश सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता (उप्र संशोधन) अधिनियम, 1973 के तहत अग्रिम जमानत का प्रावधान खत्म कर दिया था। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-438 (अग्रिम जमानत का प्रावधान जिसमें व्यक्ति गिरफ्तारी की आशंका में पहले ही न्यायालय से जमानत ले लेता है) में अग्रिम जमानत की व्यवस्था का प्रावधान है। लेकिन अग्रिम जमानत की व्यवस्था एससीएसटी एक्ट समेत अन्य गंभीर अपराध के मामलों में लागू नहीं होगी। आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों (अनलाफुल एक्टिविटी एक्ट 1967), आफिशियल एक्ट, नारकोटिक्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट व मौत की सजा से जुड़े मुकदमों में अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी।