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लखनऊ

8 मंजिल का बनेगा अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विवि, परियोजना लागत में बदलाव

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर राजधानी लखनऊ में बनने वाले अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय (Atal Bihari Vajpayee Medical University) आठ मंजिल का बनेगा। योगी सरकार के प्रस्तावित विश्वविद्यालय में से एक इस विश्वविद्यालय की परियोजना की पुनरीक्षित लागत 206.09 करोड़ रुपये है जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

लखनऊJan 26, 2021 / 03:31 pm

Karishma Lalwani

8 मंजिल का बनेगा अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विवि, परियोजना लागत में बदलाव

8 मंजिल का बनेगा अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विवि, परियोजना लागत में बदलाव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर राजधानी लखनऊ में बनने वाले अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय (Atal Bihari Vajpayee Medical University) आठ मंजिल का बनेगा। योगी सरकार के प्रस्तावित विश्वविद्यालय में से एक इस विश्वविद्यालय की परियोजना की पुनरीक्षित लागत 206.09 करोड़ रुपये है जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। पहले चरण में प्रशासनिक भवन, ऑडिटोरियम, संग्रहालय, व अन्य निर्माण किए जाएंगे। दूसरे चरण में एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का निर्माण किया जाना है। इसके तहत परियोजना लागत में बदलाव किए गए हैं जिसके तहत एकेडेमिक-प्रशासनिक ब्लॉक भवन में बेसमेंट, भूतल और तीन तल की जगह अब बेसमेंट, भूतल और आठ तल का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम की स्वीकृत क्षमता 1500 सीट से बढ़ाकर 2000 किए जाने, कुलपति आवास टाइप-07 और टाइप-05 के 08 आवासों को पुनरीक्षित परियोजना में शामिल किया गया है।
नई परियोजना में इटैलियन मार्बल, वुडेन फर्श, परफोरेटेड, जिप्सम बोड फाल्स सीलिंग, स्पाइडर ग्लास सिस्टम, विनियर पैनेलिंग, एकोस्टिक फैब्रिक पैनेलिंग, कारपेट फ्लोरिंग, आर्मस्ट्रॉग फाल्स सीलिंग, पॉलिश्ड चैनल फ्रेम, लैमिनेटेड पैनेलिंग, लैकर्ड ग्लास, फैब्रिक पैनेलिंग, एचवीएसी सिस्टम, बूम बैरियर व सोलर फोटो वोल्टिक सिस्टम उच्च विशिष्ट श्रेणी के शामिल किए गए हैं।
यूपी के चार शहरों में नक्शा पास कराना हुआ महंगा

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के चार बड़े शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा और गाजियाबाद में नक्शा पास कराने के विकास शुल्क में संशोधन किया है। इसके अनुसार लखनऊ, कानपुर और आगरा में विकास शुल्क 1400 रुपये से बढ़ाकर 2040 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया है। वहीं गाजियाबाद में विकास शुल्क 2500 रुपये से बढ़ाकर 3208 रुपये कर दिया गया है। जबकि, प्रदेश के 12 छोटे शहरों में इसे कम किया गया है। इसके साथ ही कोरोना जैसी महामारी या आपदा जैसी स्थितियों में विकास शुल्क में छूट देने या इसे किस्तों में देने की सुविधा भी दी गई है।यह नई व्यवस्था एक अप्रैल से लागू होगी। लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के मकानों पर यह संशोधन लागू नहीं होगा।
किस्तों में विकास शुल्क का भुगतान

अभी तक पांच हेक्टेयर से बड़े भूखंडों के लिए विकास शुल्क का भुगतान किस्तों में किए जाने की व्यवस्था है। अब इसे एक हेक्टेयर से बड़े भूखंडों पर लागू किया जाएगा। क्षेत्रीय पार्क आदि के प्रस्तावित निर्माण के लिए लिया जाने वाला विकास शुल्क पूरे क्षेत्रफल के आधार पर लिए जाने की व्यवस्था थी। अब इस व्यवस्था को खत्म कर निर्माण योग्य क्षेत्रफल के आधार पर विकास शुल्क लिया जाएगा। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति ने पूर्व मानचित्र के अनुसार निर्माण कर लिया है और परमिट से इतर अतिरिक्त निर्माण का प्रस्ताव है, तो इस अतिरिक्त निर्माण पर विकास शुल्क नहीं लगेगा। ऐसे मामलों में अतिरिक्त निर्माण के लिए भूमि क्षेत्रफल के लिए पहले किए भुगतान किए गए शुल्क के समायोजन के बाद विकास शुल्क लिया जाएगा।
आपदा में छूट

दैवीय आपदा, आग, विस्फोट, बाढ़, युद्ध, हड़ताल, आतंकवादी घटना, महामारी, वैश्विक महामारी, नागरिक अशांति, प्राकृतिक आपदा आदि की स्थिति में राज्य सरकार को विकास शुल्क को किस्तों में भुगतान करने और उस पर देय ब्याज की दरों को कम या माफ करने का अधिकार होगा। यह भी व्यवस्था दी गई है कि अधिनियम के अधीन विकास शुल्क नहीं लिया जाएगा।
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