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लखनऊ

औरैयाः पीड़ित ने बयां किया दर्द, निकले थे घर के लिए, खो दिया अपनो को

औरैया हादसाः ट्रक और डीसीएम की टक्कर में 24 श्रमिकों की मौत
– राजस्थान से चूना लदा ट्रक 80 प्रवासी मजदूर के लेकर जा रहा था पश्चिम बंगाल
– डीसीएम गाजियाबाद से 20 मजदूरों को लेकर जा रहा था मध्य प्रदेश
 

लखनऊMay 16, 2020 / 08:42 pm

Abhishek Gupta

Auraiya accident

Auraiya accident

लखनऊ. श्रमिकों व मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए भले ही सरकारें बस, ट्रेन समेत तमाम सुविधाएं देने का दावा करती हों, लेकिन अभी उन्हें पैदल या फिर ट्रक, ट्रैक्टर, टैम्पो का सहारा ही लेना पड़ रहा है। शनिवार सुबह औरेया में हुए हादसे ने इस बात की पोल भी खोल कर रख दी है। आज राजस्थान से आ रहे एक ट्रक की औरेया में डीसीएम से टक्कर हो गई। इस हादसे में 24 श्रमिकों की मृत्यु हो गई वहीं 30 से अधिक घायल हुए हैं। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक राजस्थान से चूना लदा ट्रक (RJ 02 GB9949) पश्चिम बंगाल के लिए चला था। इसमें करीब 80 प्रवासी मजदूर सवार थे। तो वहीं दूसरी तरफ एक डीसीएम (DL1L AA 1975) गाजियाबाद से 20 मजदूरों को लेकर मध्य प्रदेश के सागर जा रहा था। इसी दौरान औरेया जिले के चिरुहली गांव के पास एक ढाबे पर यह डीसीएम चाय-पानी के लिए रुकी थी। तभी पीछे से आ रहे ट्रक ने डीसीएम को जोरदार टक्कर मार दी। दोनों ही वाहल पलट गए। हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस वहां पहुंची लेकिन कई लोगों की तब तक घटना स्थल पर ही मौत हो चुकी थी। औरैया की चीफ मेडिकल ऑफिसर अर्चना श्रीवास्तव ने इस पर कहा कि अस्पताल में 24 लोगों को मृत लाया गया। वहीं, जिन 37 घायल लोगों को भर्ती किया गया है उनमें से 15 की हालत नाजुक है। इन 15 लोगों को सैफई के मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है।
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अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस सड़क दुर्घटना में प्रवासी श्रमिकों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मरने वाले मजदूरों के परिवार को दो-दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल मजदूरों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। पीड़ितों को हरसंभव राहत प्रदान करने और सभी घायलों का समुचित उपचार कराने के निर्देश दिए हैं।
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खुद तो बच गए, लेकिन खो दिया भाई-भतीजे को-

हादसे में चोटिल हुए उमेश कुमार कालिंदी का कहना है कि वह जागा हुआ था, इसलिए हादसा होते ही कूद कर उसने जान बचा ली। लेकिन साथ में सफर कर रहे अपने भाई और भतीजे को नहीं बचा सके। वह जयपुर में प्रवासी मजदूर के तौर पर काम करते थे। लॉकडाउन के कारण उसे अपने घर झारखंड जाना था। सरकारी बस की सहायता तो मिली लेकिन यूपी-राजस्थान बॉर्डर तक। वहां हमें रोक लिया गया। बाद में एक ट्रक गुजरता देखा। ट्रक में चूने के कई बोरियां लदी हुई थी, लेकिन घर जाना ही था, सो सवार हो गए। सुबह 3.30 पर जब सभी सो रहे थे, तभी ट्रक अनियंत्रित हो गया और पास में खड़ी डीसीएम से टकरा गया।

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