scriptअवध का किसान आंदोलन जिसने जमींदारी के अंत की लिखी पटकथा | avadh kisan andolan shatabdi year 2019 | Patrika News
लखनऊ

अवध का किसान आंदोलन जिसने जमींदारी के अंत की लिखी पटकथा

अवध किसान आंदोलन का शताब्दी वर्ष 2019 शुरू
माता बदल पांडेय : जिनकी मानस संतान थी अवध किसान सभा

लखनऊOct 17, 2019 / 05:32 pm

Hariom Dwivedi

avadh kisan andolan shatabdi year 2019

17 अक्टूबर 2019 को अवध किसान सभा अपनी स्थापना के सौवें वर्ष में में प्रवेश कर गई

फिरोज नकवी
लखनऊ. 17 अक्टूबर 2019 को अवध किसान सभा अपनी स्थापना के सौवें वर्ष में में प्रवेश कर गई और इसी के साथ अलग तेवर वाले अवध किसान आंदोलन के शताब्दी वर्ष का भी औपचारिक आरम्भ हो गया। बीते 99 वर्षों में इतिहास के इस अध्याय पर इतनी धूल जम चुकी है कि अवध के किसान भी इसे विस्मृत सा कर चुके हैं।। हालांकि इन 99 वर्षों में इस आंदोलन पर तमाम शोध हुए, ढेरों पुस्तकें भी लिखी गईं, फिर भी इस आंदोलन की नींव के पत्थरों पर लोगों का ध्यान काम ही गया। आमतौर पर अध्येताओं और आम लोगों की दृष्टि में अवध किसान सभा के संस्थापक के रूप में बाबा रामचंद्र की छवि ही बसी है, जिन्होंने सहदेव सिंह और झींगुरी सिंह के सहयोग से अवध किसान सभा का संगठन खड़ा किया। यह तथ्य कुछ हद तक सच भी है, किन्तु अवध के स्तर पर किसान संगठन खड़ा करने का पहला विचार प्रतापगढ़ निवासी हाईकोर्ट के वकील माताबदल पांडेय की देन है। इस प्रकार से अवध किसान सभा माता बदल पांडेय की ही मानस संतान है।
इस तथ्य की पुष्टि इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) से प्रकाशित अंग्रेज़ी दैनिक इंडिपेंडेंट के 27 अक्टूबर 1920 के अंक में प्रकाशित समाचार से भी हो जाती है। इस समाचार में 17 अक्टूबर 1920 को अवध किसान सभा के गठन के दिन प्रतापगढ़ के रूर गांव में की विस्तृत गतिविधि प्रकाशित हुई है। समाचार पत्र में प्रकाशित सूचना के अनुसार लगभग 5000 किसान दूर दूर के गांवों से चलकर बैठक में सम्मिलित हुए थे। इसी बैठक में प्रतापगढ़ निवासी हाईकोर्ट के वकील माता बदल पांडेय ने पूरे अवध के लिए एक किसान सभा बनाने पर बल दिया, जबकि इस बैठक का उद्देश्य 150 ग्रामों में स्थापित किसान सभाओं को मिलाकर पूरे जनपद के किसानों का संगठन बनाना था। इस बैठक में जवाहरलाल नेहरू, प्रतापगढ़ के डिप्टी कमिश्नर वैकुंठ नाथ मेहता, संयुक्त प्रान्त किसान सभा के गौरी शंकर मिश्र रायबरेली के किसान नेता माताबदल मुराई सहित बाबा राम चन्द्र, सहदेव सिंह व झींगुरी सिंह आदि मौजूद थे।
स्वभाविक है कि माता बदल पांडेय की इस राय को तवज्जो दी गई, क्योंकि नवगठित संगठन का नाम अवध किसान सभा रखा गया और श्री पांडेय को इस सभा का मंत्री (सचिव) चुना गया। अवध किसान सभा के गठन से संबंधित प्रसंग का वर्णन विधान परिषद के तत्कालीन सभापति स्व0 जगदीश चंद्र दीक्षित ने अपनी पुस्तक ” उत्तर प्रदेश में नेहरू” के ‘हलधर और जवाहर’ अध्याय में भी किया है।
https://twitter.com/priyankagandhi/status/1184713383771365376?ref_src=twsrc%5Etfw
माताबदल पांडेय की वास्तविक जन्मतिथि तो ज्ञात नहीं हो सकी, किन्तु विश्वास किया जाता है कि उनका जन्म 1885 के आस पास प्रतापगढ़ नगर से सटे सराय खांडे गांव के संपन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता बाल गोविंद पांडेय का साया बचपन मे ही माताबदल के सिर से उठ गया और चाचा रामदत्त पांडेय ने उनकी परवरिश की। रामदत्त स्वयं क़ानूनग थे, उन्होंने भतीजे माताबदल को आगरा कालेज आगरा पढ़ने के लिए भेजा। बी ए, एल एल बी करने के बाद माताबदल पांडेय ने हाई कोर्ट में वकालत आरम्भ कर दी। वे प्रतापगढ़ में बार एसोसिएशन के संस्थापक सदियों में से एक रहे। आज उनके गृहनगर प्रतापगढ़ में भी लोग अवध किसान आंदोलन में दिए गए माता बदल पांडेय के योगदान से अपिरिचित से हैं। संभव है कि आंदोलन के शताब्दी वर्ष में उनके योगदान का समग्र मूल्यांकन हो सके।

Home / Lucknow / अवध का किसान आंदोलन जिसने जमींदारी के अंत की लिखी पटकथा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो