इस तथ्य की पुष्टि इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) से प्रकाशित अंग्रेज़ी दैनिक इंडिपेंडेंट के 27 अक्टूबर 1920 के अंक में प्रकाशित समाचार से भी हो जाती है। इस समाचार में 17 अक्टूबर 1920 को अवध किसान सभा के गठन के दिन प्रतापगढ़ के रूर गांव में की विस्तृत गतिविधि प्रकाशित हुई है। समाचार पत्र में प्रकाशित सूचना के अनुसार लगभग 5000 किसान दूर दूर के गांवों से चलकर बैठक में सम्मिलित हुए थे। इसी बैठक में प्रतापगढ़ निवासी हाईकोर्ट के वकील माता बदल पांडेय ने पूरे अवध के लिए एक किसान सभा बनाने पर बल दिया, जबकि इस बैठक का उद्देश्य 150 ग्रामों में स्थापित किसान सभाओं को मिलाकर पूरे जनपद के किसानों का संगठन बनाना था। इस बैठक में जवाहरलाल नेहरू, प्रतापगढ़ के डिप्टी कमिश्नर वैकुंठ नाथ मेहता, संयुक्त प्रान्त किसान सभा के गौरी शंकर मिश्र रायबरेली के किसान नेता माताबदल मुराई सहित बाबा राम चन्द्र, सहदेव सिंह व झींगुरी सिंह आदि मौजूद थे।
स्वभाविक है कि माता बदल पांडेय की इस राय को तवज्जो दी गई, क्योंकि नवगठित संगठन का नाम अवध किसान सभा रखा गया और श्री पांडेय को इस सभा का मंत्री (सचिव) चुना गया। अवध किसान सभा के गठन से संबंधित प्रसंग का वर्णन विधान परिषद के तत्कालीन सभापति स्व0 जगदीश चंद्र दीक्षित ने अपनी पुस्तक ” उत्तर प्रदेश में नेहरू” के ‘हलधर और जवाहर’ अध्याय में भी किया है।
माताबदल पांडेय की वास्तविक जन्मतिथि तो ज्ञात नहीं हो सकी, किन्तु विश्वास किया जाता है कि उनका जन्म 1885 के आस पास प्रतापगढ़ नगर से सटे सराय खांडे गांव के संपन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता बाल गोविंद पांडेय का साया बचपन मे ही माताबदल के सिर से उठ गया और चाचा रामदत्त पांडेय ने उनकी परवरिश की। रामदत्त स्वयं क़ानूनग थे, उन्होंने भतीजे माताबदल को आगरा कालेज आगरा पढ़ने के लिए भेजा। बी ए, एल एल बी करने के बाद माताबदल पांडेय ने हाई कोर्ट में वकालत आरम्भ कर दी। वे प्रतापगढ़ में बार एसोसिएशन के संस्थापक सदियों में से एक रहे। आज उनके गृहनगर प्रतापगढ़ में भी लोग अवध किसान आंदोलन में दिए गए माता बदल पांडेय के योगदान से अपिरिचित से हैं। संभव है कि आंदोलन के शताब्दी वर्ष में उनके योगदान का समग्र मूल्यांकन हो सके।