दिल्ली की दो महिलाओं ने ठोंका था दावा आपको बता दें कि
राम मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या की सीमा के भीतर 5 एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था। इसी आदेश के तहत पिछले साल अयोध्या प्रशासन ने रौनाही क्षेत्र के धन्नीपुर गांव में जमीन वक्फ बोर्ड को अलॉट की थी। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की तरफ से इस जमीन पर मस्जिद के अलावा अस्पताल और म्यूजियम बनाने की नींव इसी 26 जनवरी को रखी गई थी। इसके बाद दिल्ली की दो महिलाओं ने इस जमीन पर अपना दावा पेश करते हुए हाईकोर्ट में अर्जी डाली थी, जिसको आज जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस मनीष कुमार की बेंच ने खारिज कर दिया।
याचिका हुई खारिज याचिका में रानी कपूर पंजाबी और रमा रानी पंजाबी ने कहा कि बंटवारे के समय उनके माता-पिता पाकिस्तान के पंजाब से आए थे। बाद में वे फैजाबाद जनपद में ही बस गए। उस वक्त उन्हें नजूल विभाग में ऑक्शनिस्ट के पद पर नौकरी भी मिली थी। उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी को 1560 रुपये में 5 साल के लिए ग्राम धन्नीपुर, परगना मगलसी, तहसील सोहावल, जनपद फैजाबाद में लगभग 28 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया था। पांच साल के बाद भी वह जमीन याचियों के परिवार के ही उपयोग में रही और उनके पिता का नाम आसामी के तौर पर उक्त जमीन से सम्बंधित राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। हालांकि साल 1998 में सोहावल एसडीएम द्वारा उनके पिता का नाम उक्त जमीन के सम्बंधित रिकॉर्ड से हटा दिया गया। याचियों की मां ने एसडीएम के इस कदम के खिलाफ लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी। आखिरकार उनके पक्ष में फैसला हुआ। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि बाद में चकबंदी के दौरान फिर से उक्त जमीन के राजस्व रिकॉर्ड को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ और चकबंदी अधिकारी के आदेश के खिलाफ बंदोबस्त अधिकारी (चकबंदी) के सामने मुकदमा दाखिल किया गया। यह मामला अब तक विचाराधीन है। याचिका में कहा गया था कि मामला विचाराधीन होने के बावजूद उक्त जमीन में से 5 एकड़ राज्य सरकार ने मस्जिद निर्माण के लिए दे दी।