इस युवा साइंटिस्ट ने बनाया ऐसा प्रोजेक्ट, सेना के जवान घुसपैठियों पर रख सकेंगे नजर
करिश्मा लालवानीलखनऊ. आतंकी हमला एक बड़ी समस्या है। देश में विस्फोट कर आतंक फैलाने वाले घुसपैठियों के मंसूबों को कामयाब होने से रोकने के लिए बलरामपुर के युवा साइंटिस्ट आशुतोष पाठक ने प्रोजेक्ट ‘बॉर्डर सुरक्षा’ नाम का डिवाइस तैयार किया है। इस डिवाइस से सेना के जवान घुसपैठियों पर नजर रखकर अपने देश की हिफाजत कर सकेंगे। आशुतोष के इस मॉडल को वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला से सराहा जा चुका है।
इस तरह काम करेगा बॉर्डर सुरक्षा आशुतोष मूल रूप से बलरामपुर स्थित हरैया सतघरवा ब्लॉक के रामनगर गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट बॉक्डर सुरक्षा में सीमा पर स्थित बंकर रैंप के निकट टेलीस्कोप, सर्च लाइट और सायरन लगे होंगे। इस रैंप के पास सेंसर लगाए जाएंगे। अगर कोई आतंकी आने की कोशिश करता है तो उसके तार काटते ही बंकर की लाइट कटने के साथ सायरन बजने लगेगा। रैंप पर पहुंचते ही नीचे की ओर उसका फाटक खुल जाएगा, जिससे कि हमला करने आए घुसपैठी सीधे सेना के निशाने पर होंगे।
500 मीटर की दूरी पर जाते ही पकड़ा जाएगा आतंकी पत्रिका से बातचीत में आशुतोष ने बताया कि प्रोजेक्ट सुरक्षा बॉर्डर के तहत आतंकी के 500 मीटर की दूरी पर जाते ही यह डिवाइस उसे पकड़ कर बेहोश कर देगी। इस प्रोजेक्ट से सेना के जवानों को बॉर्डर क्रास करने की जानकारी हासिल होगी, जिससे कि आतंकी के सीमा में घुसते ही उसे पकड़ा जाना आसान होगा। बॉर्डर सुरक्षा के मॉडल को तैयार करने के लिए आशुतोष ने दो बल्ब, दो गत्ता, तीन मीटर, पुली, टेलीस्कोप और पांच रंगीन कागज का इस्तेमाल किया है।
जहरीले पौधे उखाड़ने के लिए बनाई मशीन आशुतोष ने अपनी डिवाइस से बहुत हद तक किसानों के काम को आसान किया है। उन्होंने खेतों में उगने वाले जहरीले पौधों को उखाड़ने के लिए भी एक मशीन बनाई है। इससे किसानों का काम तो आसान हुआ ही है साथ ही उन्हें किसी तरह की परेशानी या नुकसान भी नहीं होता।
गांव में बिजली सड़के के लिए भी किया प्रयास
आशुतोष ने अपने गांव में बिजली और सड़क व्यवस्था के लिए भी प्रयास किया है। गांव में पक्की सड़क और बिजली समस्या आम बात है। इलेक्ट्रिसिटी न होने से रोजमर्रा के काम काफी हद तक प्रभावित होते हैं। ऐसे में आशुतोष ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपने गांव में पक्की सड़क के निर्माण और बिजली की चाकचौबंद व्यवस्था किए जाने की बात को सामने रखा। आशुतोष ने बताया कि जब उन्हें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया, तो उन्होंने अपने गांव की इन दो समस्याओं को उनसे समक्ष रखा। इससे तत्काल उनके गांव में सड़क और बिजली पहुंचाने की बात कही गयी।
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