प्रो० पी. के. सिंह ने जैव-ईंधन, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर उनके सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि सितंबर 2006 के दौरान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपी और एनजी) ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण करने का निर्देश दिया था, जो अक्टूबर 2008 से बढ़ गया।
जैव ईंधन बने संवेदनशील ए. के. गंजू, राज्य स्तरीय समन्वयक, तेल उद्योग, उत्तर प्रदेश ने अपने संबोधन में माननीय विधायक देवमनी दुबे और सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने जैव-ईंधन के लाभों के बारे में युवाओं, किसानों और अन्य हितधारकों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा उन्होंने कहा कि प्रदूषण को कम करने के अलावा, स्वदेशी उत्पादित जैव ईंधन हमारे देश के विशाल आयात बोझ को कम करने में मदद करेगा। इसके अतिरिक्त, यह रोजगार पैदा करने और ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा जो सीधे किसानों को लाभान्वित करेगा।
इसी के साथ वहां मौजूद आलोक कुमार, आयुक्त (एफ एंड सीएस) ने अपने संबोधन में इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि कच्चे तेल का वर्तमान घरेलू उत्पादन बीतें वर्षों में स्थिर नहीं रहा है और देश की आवश्यकता का केवल 18ः ही रहा है। इसलिए, जैव ईंधन पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों के पूरक और पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ तरीके से राष्ट्रीय ऊर्जा को उच्चतम सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए जैव ईंधन के महत्व के बारे में सभी को जानकारी होनी चाहिए।