भाजपा के लिए मिशन 2019 के तहत काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा
दरअसल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का यूपी का दो दिवसीय दौरा मिशन 2019 के तहत काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। यह विस्तारक संगठन की रीढ़ हैं, जिन्हें बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं तक संदेश पहुंचाना है। शाह ने विंध्याचल पहुंचकर सबसे पहले विस्तारकों के साथ बैठक की। इस बैठक के दौरान उनको नए सियासी माहौल में पार्टी का नजरिया समझाया गया। इसके साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कामों को सोशल मीडिया भाजपा की खूबिया उत्तर प्रदेश की जनता तक किस तरह से पहुंचाया जाए। इसको भी विस्तार से समझाया गया है। एक दिन में कितने मैसेज किए जाएं इन सब विषयों पर विस्तार से चर्चा की और पचास प्लस वोट शेयर का लक्ष्य रखा है।
भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को रिफ्रेश
राष्ट्रीय राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह का दोनों जगहों पर दूसरे दौर की मीटिंग काफी महत्वपूर्ण रही है। शाह ने इस बैठक में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को रिफ्रेश कर दिया है। वहीं सांसदों की कार्यप्रणाली और क्षेत्र में प्रभाव को लेकर विस्तार से बैठक की गई। वहीं वाराणसी की बैठक में लगभग 45 सीटों पर चर्चा की गई। बाकी सीटों के लिए आगरा में बैठक हुई। इस बैठक में चुनिंदा लोगों को ही शामिल किया गया था। जिसमें संगठन और सरकार से लगभग 25 से तीस नेताओं को ही बुलाया गया।
50 प्रतिशत सांसदों के टिकट खतरे में
हालांकि बैठक का फीडबैक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए संतोषजनक नहीं माना जा रहा है। माना यह जा रहा कि यूपी में लगभग 50 प्रतिशत सांसदों के टिकट जरूर खतरे में दिखाई दे रहा है। टारगेट पर वो संसदीय़ क्षेत्र रहे जहां नेताओं का जनता से समन्वय ठीक नहीं रहा है। पिछले चुनाव में एक लाख वोट के अंतर से तक जीतने वाले सांसद भी रडार पर लिए जा सकते हैं, क्योंकि पार्टी उन सांसदों की जीत को मोदी मैजिक का परिणाम मानती है। ऐसे में इस दौरे के दौरान लिया गया फीडबैक उन सांसदों पर भारी पड़ने वाला है जो सांसद अपने कार्यों में प्रति सक्रिय नहीं रहे हैं।