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लखनऊ

सपा ने जातीय महापुरुषों के नाम पर द्वार बनाया था, भाजपा बनाएगी सडक़

भाजपा ने अब सर्वसमाज को साधने का नया फार्मूला इजाद किया है जिससे वह प्रतीकवाद की राजनीति करेगी।

लखनऊSep 07, 2018 / 02:49 pm

Mahendra Pratap

BJP symbolic politics for Lok Sabha elections 2019

सपा ने जातीय महापुरुषों के नाम पर द्वार बनाया था, भाजपा बनाएगी सडक़

लखनऊ. दलित-सवर्ण दोऊ खड़े काके लागूं पायं? की दुविधा के बीच भाजपा ने अब सर्वसमाज को साधने का नया फार्मूला इजाद किया है। इसके तहत पार्टी एक साधे सब सधे के फार्मूले पर काम करेगी। अब वह प्रतीकवाद की राजनीति करेगी। और समाज के सभी वर्गों को खुश करने का काम करेगी। इसते तहत बहुत जल्द ही प्रदेश की प्रमुख सडक़ों के चौराहों पर सर्वसमाज के महापुरुषों की प्रतिमाएं लगेंगी, इनके नाम पर स्टेट हाइवे का नामकरण किया जाएगा। और इनकी गौरवगाथा गाई जाएगी।

सवर्ण और दलित मतदाताओं के बीच मची खींचतान ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। राष्ट्रीय स्वंय संघ को खुश करने के लिए पिछले 4 सालों से भाजपा ने ब्राह्मणवादी मान्यताओं के मुताबिक काम किया। पाठ्यक्रमों में बदलाव, शहरों और इमारतों के नाम में तब्दीली, स्कूलों और थानों के भवनों का भगवाकरण, गोरक्षा आंदोलन आदि इसके उदाहरण हैं। लेकिन, मार्च माह में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले ने पार्टी पर दलित विरोधी होने का दाग लग दिया। इस दाग को धोना भाजपा को भारी पड़ रहा है। भाजपा एससी-एसटी एक्ट के जरिए कई हित साधना चाहती थी। वह गुजरात के ऊना में मरी गाय के खाल उतार रहे दलितों की पिटाई से दलितों में नाराजगी, हरियाणा-राजस्थान, उप्र में घोड़ी चढऩे से लेकर मूंछ रखने तक के मामलों में दलितों के उत्पीडऩ और उनकी हत्याओं से उपजे आक्रोश को भी दबाना चाहती थी। लेकिन, उसे नहीं मालूम था कि एक वर्ग को खुश करने के चक्कर में बहुत बड़े वर्ग की नाराजगी झेलनी होगी।

अब प्रतीकवाद की राजनीति का सहारा

भाजपा प्रतीकवाद की राजनीति करती रही है। अलग-अलग समुदायों के महापुरुषों का महिमामंडन, मूर्तियों की स्थापना, संस्थाओं, गलियों और चौराहों का नामकरण इसी एजेंडे का हिस्सा है। पिछले 4 सालों में अंबेडकर, सुहलदेव, शबरी, कबीर और दादू जैसे पात्रों को फिर से जिंदा करने का प्रयास प्रतीकवाद की राजनीति का उदाहरण है। अब भाजपा अपने इस एजेंडे को और धार देने का काम करेगी। ताकि सर्वसमाज को खुश किया जा सके। इसके तहत अब उप्र की प्रमुख सडक़ों, राजमार्गों और चौराहों का नामकरण प्रत्येक जातियों के महापुरुषों के नाम पर करेगी। इसके अलावा पार्टियों के वरिष्ठ मंत्रियों और नेताओं को जातीय सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा भाग लेने के लिए कहा गया है।

महापुरुषों के ब्रोशर बनाने के निर्देश

सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, गोस्वामी तुलसीदास, चंद्रशेखर आजाद, ज्योतिबा बाई फुले, सावित्रीबाई फुले, डॉ.भीमराव आंबेडकर, सरदार बल्लभ भाई पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, राममनोहर लोहिया, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, बसपा संस्थापक कांशीराम, समाजवादी चिंतक कर्पूरी ठाकुर, चौधरी चरण सिंह, हुकुम सिंह जैसी हस्तियों की जाति तलाशी जा रही है। सूचना विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह इन महापुरुषों के प्रचार के लिए ब्रोशर तैयार करे। इन जातियों के नेताओं को साधा जा रहा है। जातीय सम्मेलनों में इन महापुरुषों की फोटो और प्रतिमाओं पर माल्यापर्ण किए जा रहे हैं।

सपा ने बनवाए थे द्वार

समाजवादी पार्टी भी प्रतीकवाद की राजनीति करती रही है। सपा कार्यकाल में प्रत्येक नगर पंचायतों और जिला पंचायतों की सीमा पर स्थानीय महापुरुषों, नेताओं, स्वतंत्रा सेनानियों और शहीदों की स्मृति में द्वार बनाए गए थे। लेकिन इसमें जातीयता को प्रधानता नहीं दी गयी थी।

महापुरुष की कोई जाति नहीं

भाजपा के लिए महापुरुष की कोई जाति नहीं होती। कोई पार्टी नहीं होती। महापुरुष सिर्फ महापुरुष होता है। इसलिए इन हस्तियों के नाम पर उप्र की प्रमुख सडक़ों का नामकरण किया जाएगा। इनकी आदमकद प्रतिमाएं लगवायी जाएंगी ताकि इनसे समाज प्रेरित हो सके।

-केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री उप्र

भाजपा दे रही जातीयता को बढ़ावा

भाजपा जातीयता को बढ़ावा दे रही है। जातियों को खुश करने के लिए वह जातीय सम्मेलन कर रही है। इन सम्मेलनों में उनकी जाति के नेताओं की गाथा गाई जा रही है। नेताओं और महापुरुषों का सम्मान तो ठीक है लेकिन उसे जाति तक सीमित करना ठीक नहीं।
-राजेंद्र चौधरी, प्रवक्ता सपा

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