सब का साथ, सब का विकास की तर्ज पर मायावती का सर्वजन हिताय भाजपा का जुमला सब का साथ और सब का विकास की तर्ज पर मायावती ने सर्वजन हिताय के अपने नारे को एक बार फिर से बुलंद करने का फैसला किया है। समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोडऩे व विधानसभा के उपचुनावों में अपने बल बूते उतरने की घोषणा के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी में फेरबदल करते हुए सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश की है। बसपा के बयान में संगठन में बदलाव को सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय नीति पर अमल को जरूरी साबित करने की कोशिश की है।
मुसलमानों को खुश करने की कोशिश मायावती ने सपा के सबसे विश्वसनीय मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए आरएस कुशवाहा को हटाकर मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी है। उनके नजदीकियों का मानना है कि इससे मुसलमान वोट उनकी ओर आकर्षित होगा और सपा उसका मन अब भंग हो चुका है। जानकारों की माने तो मेरठ के मुनकाद अली को प्रदेश संगठन की कमान सौंप कर मायावती ने पश्चिम उप्र में मजबूती बढ़ाने का प्रयास किया है। पश्चिम में दलित मुस्लिम गणित में उनका यह दांव काफी कारगर साबित हो सकता है।
यादव के साथ अन्य पिछड़ों की भी चिंता सपा परिवार के निष्ठावान वोटबैंक यादवों को जोडऩे के लिए मायावती ने श्याम सिंह यादव को लोकसभा में पार्टी के नेता पद की जिम्मेदारी दी है। यूपी विधानसभा में भी ओबीसी नेता लालजी वर्मा नेता सदन के रूप में जाने जाते हैं। इस तरह मायावती ने सपा के निष्ठावान वोटों को जोडऩे के लिए जो चाल चली है उससे बसपा का पारम्परिक दलित वोट काफी उत्सोहित दिख रहा है। कहा जा रहा है कि आगामी दिनों में होने वाले उप चुनावों में इसके बेहतर परिणाम भी सामने आएंगे।