सिंह ने कहा अखिलेश जो अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान किसानों के बजाय परिवार पर ध्यान केंद्रित करते थे, अचानक से किसानों का ‘सम्मान’ करने लगे हैं। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा था कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो मृतक किसानों के परिवारों को 25 लाख रुपये का मुआवजा देंगे।
मंत्री ने कहा निश्चित रूप से किसान ही नहीं, हर व्यक्ति का जीवन अनमोल है, लेकिन सपा प्रमुख को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या निर्दोष कारसेवकों के जीवन का कोई मूल्य नहीं था। क्या उनके परिवारों को मुआवजा नहीं मिलना चाहिए? सपा प्रमुख के पास वोट बैंक की राजनीति और तुष्टीकरण के रूप में जवाब देना ही सपा की पहचान है। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख से उनके पिता मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल के दौरान 1990 में हुए कारसेवक नरसंहार पर सवाल उठाया, जिसमें राम मंदिर के निर्माण की मांग करते हुए कई लोगों की जान चली गई थी।
उन्होंने कहा जो लोग चुनाव के दौरान जीवन के महत्व के बारे में बात कर रहे हैं, उन्होंने राम भक्तों पर गोलीबारी का आदेश दिया है। इन कारसेवकों में सबसे बड़ी संख्या गांव-गिरावों के किसान थे, जो भगवान राम के उपासक थे। सरकार के प्रवक्ता ने आगे कहा कि किसान सपा और उसके नेता के लिए वोट बैंक हो सकते हैं, लेकिन भाजपा सरकार और पार्टी के लिए, वे हमेशा ‘अन्नदाता’ थे और रहेंगे।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान जब अखिलेश और उनके जैसे कई अन्य नेताओं को सेल्फ क्वारंटाइन किया गया था, तब सरकार और भाजपा के कार्यकर्ता किसानों की सेवा में लगे हुए थे। किसानों को मुआवजा देने की बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री राज्य में किसी भी आपदा के कारण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु पर पूर्ण और त्वरित वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।