लोहिया संस्थान में कैंसर के सबसे अधिक मरीज आते हैं। यहां सर्जिकल अंकोलॉजी, रेडियोथेरेपी व मेडिकल अंकोलॉजी तीनों विभाग संचालित हैं। ऐसे में तमाम मरीजों को रेडियोथेरेपी की जरूरत पड़ती है। वहीं संस्थान में दो मशीनें होने के बावजूद मरीजों की लंबी वेटिंग है। मरीजों की बढ़ती भीड़ व विभागीय चिकित्सकों के सुझाव पर संस्थान के निदेशक डॉ. दीपक मालवीय ने एक और लीनियर एक्सीलिरेटर मशीन लगाने का फैसला किया था। इसके लिए एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड से अनुमति मांगी गई थी। बोर्ड ने मैप अप्रूविंग, बंकर का निर्माण, स्टाफ, उपकरण, रेडिएशन सेफ्टी आदि संसाधनों की जांच कर तीन दिन पहले मशीन की स्थापना के लिए एनओसी दे दी है।
अभी दो माह की वेटिंग
संस्थान में छह चिकित्सक एमडी रेडिएशन अंकोलॉजी हैं। वहीं चार मेडिकल फिजिक्स, दो एटॉमिक एनर्जी ट्रेनी हैं। ये एक दिन में करीब 135 से 140 मरीजों को रेडिएशन देते हैं। वहीं नई मशीन लगने से रोजाना 70 के करीब मरीजों को और रेडिएशन दिया जा सकेगा।
बनेगा पहला सेंटर
लोहिया संस्थान प्रदेश का पहला ऐसा सरकारी सेंटर होगा जहां तीन लीनियर एक्सीलिरेटर मशीन होंगी। इसके अलावा एसजीपीजीआइ में दो व केजीएमयू में एक मशीन है।
ब्रेन व हेड-नेक कैंसर में थेरेपी होगी आसान
संस्थान में अभी तक दो हाई एनर्जी मशीन थीं। इसमें 6,10,15 एमबी एनर्जी रिलीज होती है। वहीं इसमें सिर्फ छह एमबी एनर्जी रिलीज होगी। इससे ब्रेन, हेड-नेक व बच्चेदानी समेत तमाम कैंसर को रेडिएशन देना सुरक्षित होगा। विशेषज्ञों की मानें तो 90 फीसद मामलों में छह एमबी एनर्जी की ही डोज दी जाती है।
मशीन को एनओसी मिल गई है। बंकर हैंडओवर होते ही मशीन को लगाने का काम शुरू हो जाएगा। तीन महीने में तीसरी मशीन भी रन हो जाएगी।