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लखनऊ

CBI का सबसे बड़ा छापा, ये बड़े आईएएस के अलावा सपा के ये पूर्व मंत्री भी फंसे, अगला निशाना हो सकते हैं अखिलेश

-47 लाख रुपये नकद बरामद
-अखिलेश यादव की भी बढ़ सकती हैं मुश्किलें
 

लखनऊJul 11, 2019 / 02:54 pm

Ruchi Sharma

akhilesh yada

CBI का सबसे बड़ा छापा, ये बड़े आईएएस के अलावा सपा के इस पूर्व मंत्री भी फंसे, अगला निशाना हो सकते हैं अखिलेश

लखनऊ. सीबीआई (CBI) ने उत्तर प्रदेश में हुए खनन घोटाला मामले में शिकंजा कसता जा रहा है। सीबीआई ने दो और केस दर्ज किए हैं। जांच में पांच आईएसएस (IAS) को घेरे में लिया है। सीबीआई ने खनन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव जीवेश नंदन, तत्कालीन विशेष सचिव संतोष कुमार, बुलंदशहर के डीएम अभय सिंह और देवरिया के पूर्व डीएम विवेक कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया है।
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47 लाख रुपये नकद बरामद

पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति भी प्राथमिकियों में से एक में बतौर आरोपी नामजद हैं। बुलंदशहर, लखनऊ, फतेहपुर, आजमगढ़, इलाहाबाद, नोएडा, गोरखपुर, देवरिया समेत 12 स्थानों पर छापे मारे गए। अधिकारियों ने कहा कि सिंह के परिसरों से 47 लाख रुपये नकद बरामद किए गए जबकि देवरिया के तत्कालीन एडीएम देवी शरण उपाध्याय के आवास से करीब 10 लाख रुपये बरामद किए गए। वह अभी आजमगढ़ के सीडीओ के रूप में तैनात हैं। एजेंसी ने विवेक के परिसरों से संपत्तियों से संबंधित कुछ दस्तावेज भी जब्त किए गए।
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सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, खनन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव जीवेश नंदन के आदेश पर 25 जिलों के डीएम को शासनादेश भेजा गया था। शासनादेश के चलते जिलों के डीएम ने पट्टा जारी किया था। जीवेश नंदन अभी भारत सरकार में तैनात हैं। खनन घोटाले में अब तक सीबीआई ने तीन मामले दर्ज किए हैं। पांच आईएएस अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। इतने अधिकारियों पर शिकंजा कसने के बाद नजरें सीबीआई के अगले कदम पर टिक गई हैं। बता दें, जिन अफसरों पर छापे पड़े हैं, सभी ने तब पट्टे बांटे थे, जब अखिलेश यादव के पास खनन मंत्रालय था।
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अखिलेश यादव की भी बढ़ सकती हैं मुश्किलें

इससे अखिलेश यादव की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सूत्रों की मानें तो सीबीआई ने अपनी एफआईआऱ में कहा है कि ३१ मई २०१२ को राज्य में रेत खनन के लिए नए पट्टों के आवंटन अौर नवीनीकरण के लिए ई-टेंडरिंग को अनिवार्य कर दिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने २९ जनवरी २०१३ को राज्य सरकार के इस फैसले को बरकरार रखा। तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए पट्टा धारक शिव सिंह और सुखराज ने नियमों के विरुद्ध जाकर अपने पट्टों का नवीनीकरण करा लिया।

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