उच्च स्तर के अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित
मुख्यमंत्री आज यहां लोक भवन आॅडिटोरियम में बेसिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा विभाग की एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में प्रदेश के समस्त बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी एवं उच्च स्तर के अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साथ अलग से बैठक होगी मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अधिवेशन के पश्चात बेसिक शिक्षा मंत्री तथा अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा की बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साथ अलग से बैठक होगी। इसी प्रकार उप मुख्यमंत्री तथा अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा की जिला विद्यालय निरीक्षकों के साथ बैठक सम्पन्न होगी। उन्होंने कहा कि कार्याें के प्रभावी एवं सुचारु सम्पादन के लिए संवाद आवश्यक है। आज जिस प्रकार शासन के अधिकारियों द्वारा जनपद स्तरीय शिक्षा अधिकारियों से संवाद स्थापित किया जा रहा है, ऐसा ही संवाद जनपद स्तर पर भी अधिकारियों द्वारा स्थापित किये जाने की जरूरत है।
जैसे शिक्षक और शिक्षण संस्थान होंगे, वैसे ही छात्र-छात्राएं भी तैयार होंगे मुख्यमंत्री ने कहा कि देश, प्रदेश और समाज के भविष्य का निर्धारण शिक्षा अधिकारियों के हाथ में है। क्योंकि जैसे शिक्षक और शिक्षण संस्थान होंगे, वैसे ही छात्र-छात्राएं भी तैयार होंगे और वैसा ही देश का भविष्य बनेगा। हमें इस बात का ध्यान सदैव अपने कर्तव्यों के सम्पादन में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोक की व्यवस्था लोकलाज से चलती है। इसलिए हम सभी को जनमन की अपने प्रति राय को ध्यान में रखकर अपने दायित्वों का सम्पादन करना चाहिए। इससे हम अपने कार्याें में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
विद्यालयों में भी शैक्षिक कलेण्डर लागू किये जाने की आवश्यकता मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों की भांति महाविद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों तथा प्राथमिक विद्यालयों में भी शैक्षिक कलेण्डर लागू किये जाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने महापुरुषों की जन्म जयंती तथा पुण्यतिथि पर होने वाले अवकाशों को समाप्त किया है। इन अवसरों पर विद्यालयों में सम्बन्धित महापुरुषों के व्यक्तित्व एवं कृृतित्व के बारे में विद्यार्थियों को अवगत कराने की व्यवस्था की गई है। छात्र-छात्राओं को यह ज्ञान होना चाहिए कि राष्ट्रीय एकता और अखण्डता तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नयन में हमारे महापुरुषों ने किस प्रकार योगदान दिया है। इससे विद्यार्थियों की शिक्षण के प्रति रुचि बढ़ने के साथ ही सामान्य ज्ञान भी बढ़ता है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार के कार्यक्रम होली, दीपावली, जन्माष्टमी, रामनवमी, महाशिवरात्रि, ईद, क्रिसमस आदि पर्व और त्यौहारों के सम्बन्ध में भी होने चाहिए।