सीएम योगी आदित्यनाथ के इस बयान का मायने इस संदर्भ में भी लगाए जा रहे हैं कि भाजपा दलित-मुस्लिम गठजोड़, मायावती-चंद्रशेखर और अजित सिंह को जाटों को आरक्षण देकर मात देने के फिराक में है। बता दें कि जाट पश्चिमी यूपी में बहुतायत में हैं। मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, एटा, मुजफ्फरनगर, मथुरा, आगरा सहित कई जिलों में जाटों की संख्या काफी है। योगी के इस बयान के बाद से कांग्रेस और आरएलडी समेत कई पार्टियों ने भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जमकर निशाना साधा है।
जाट प्रतिनिधियों की बैठक के दौरान सीएम योगी ने आरक्षण को हवा दे दी है। उन्होंने कहा था कि जाट आरक्षण पर सरकार जाट समाज के साथ हैं। सरकार ने सामाजिक न्याय की समिति गठित की है। पिछली सरकार अपने लोगों के माध्यम से मामले को कोर्ट ले जाती थी। वो आरक्षण के समर्थन में नहीं थी। वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि 17 जिले जाट बाहुल्य हैं और आपके चलते ही बीजेपी को बहुमत मिला। डिप्टी सीएम ने कहा कि 2019 के चुनाव के लिए विपक्षी अफवाह फैला सकते हैं। केंद्र और प्रदेश की सरकार आपके साथ है।
निषाद, बिन्द, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़। इन जातियों को एससी की कैटेगरी में डालने पर विचार भी चल रहा है। इसे सरकार का पिछड़ी जातियों को लुभाने के बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है।
इस मुद्दे पर आरएलडी प्रवक्ता अनिल दूबे ने कहा कि चुनाव आते ही बीजेपी को जाटों को आरक्षण देने की बात याद आ गई है। केंद्री में भाजपा की सरकार है उसके बाद भी अभी तक आरक्षण क्यों नहीं दिया गया। वहीं कांग्रेस के पदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा है कि चुनाव करीब है इसलिए बीजेपी को जाट याद आने लगे हैं।