– गंगो-जमन के खिलाफ हैं आरएसएस और बीजेपी के लोग- नवनियुक्त संगठन पदाधिकारियों को घर-घर जाने का निर्देश-संघ और भाजपा की हकीकत बताने के लिए दो पुस्तिकाएं जारी
पॉलिटिकल स्टोरी रायबरेली. ‘आजादी की लड़ाई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कोई योगदान नहीं रहा। राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे बड़े प्रतीक माने जाने वाले तिरंगे को भी आरएसएस ने झुठलाया था। भाजपा और आरएसएस के लोग सामाजिक न्याय के खिलाफ हैं। कुछ इस तरह के शब्दों के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता अब अपनी बात गांव-गांव और घर-घर जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यूपी में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए इन्हीं शब्द बाणों का इस्तेमाल करने का संदेश अपने कार्यकर्ताओं को दिया है। यूपी के सियासी मैदान में भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस अब अपने कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का असली इतिहास बताएगी। लंबे समय बाद अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से रू-ब-रू कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कार्यकर्ताओं को संगठन की सीख दी। दो दिनों तक चली कार्यशाला में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी जीत के गुर बताए। इस मौके पर संगठन से जुड़े पदाधिकारियों को दो पुस्तिकाएं भी बांटी गयीं। इनके जरिए कांग्रेस ने भाजपा और आरएसएस पर काउंटर अटैक की रणनीति बनाई है।
गहलोत और कमल को तरजीह नहीं रायबरेली के भुएमऊ गेस्ट हाउस में जिला अध्यक्षों के प्रशिक्षण सत्र में ‘गंगो जमन के खिलाफ आरएसएस और भाजपा के लोग’ और ‘हम कांग्रेस के लोग दुष्प्रचार और सच किताबों बांटी गयीं। इन दोनों किताबों के बैक कवर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की तस्वीर है। जबकि, किताब के दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उप्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की तस्वीर है। सूबे के कांग्रेसियों में इस बात को लेकर कौतुहल है कि आखिर किस वजह से कांग्रेस की पुस्तिकाओं में भूपेश को जगह दी गयी है और राजस्थान और मध्य प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और कमलनाथ की उपेक्षा की गयी है।
आरएसएस और भाजपा पर कटाक्ष ‘गंगो जमन के खिलाफ आरएसएस और भाजपा के लोग’ पुस्तिका में कांग्रेस ने आरएसएस और भाजपा पर कटाक्ष किया है। किताब के पहले अध्याय में बताया गया है कि आरएसएस ने कभी स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया और तिरंगा जिसे राष्ट्रवाद का प्रतीक माना जाता है, उसका आरएसएस ने हमेशा विरोध किया। किताब में यह भी बताया गया है कि किस तरह भाजपा और आरएसएस गंगा जमुनी तहजीब के विरोध में कार्य कर रहे हैं। तिरंगे के रंग को नकारकर संघ ने हमेशा माना है कि भगवा ही तिरंगे का रंग होना चाहिए।
आरएसएस दलित विरोधी कांग्रेस की पुस्तिका के मुताबिक आरएसएस के मुखपत्र ‘द ऑर्गनाइजर’ के 14 अगस्त, 1947 के लेख में आरएसएस ने तिरंगे के रंग का विरोध करने का कारण बताया था। आरएसएस का तर्क था कि तिरंगे में तीन नंबर अशुभ होता है। तीन रंगों वाला तिरंगा देश की शान में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए तिरंगे का रंग तीन भागों में न होकर भगवा होना चाहिए। कांग्रेस ने अपनी पुस्तिका में यह भी बताया है कि कैसे आरएसएस मनुस्मृति का समर्थक रहा है। जिसमें शूद्र और दलितों के साथ भेदभाव की बात की गयी है। ‘हम कांग्रेस के लोग-दुष्प्रचार और सच’ पुस्तिका में संघ के नकारात्मक प्रोपेगेंडा व उन सभी आरोपों का जवाब दिया गया है, जिसे भाजपा ने समय-समय पर उठाकर विरोधी पार्टी को परास्त करने की रणनीति बनाई थी।
भाजपा और आरएसएस पर काउंटर अटैक दोनों ही पुस्तिकाओं के जरिये कांग्रेस ने यूपी में भाजपा और आरएसएस पर कटाक्ष किया है। कांग्रेस नेतृत्व द्वारा इस प्रशिक्षण शिविर के बाद जमीनी कार्यकर्ताओं को भाजपा और आरएसएस को जानकारी देने व घर-घर जाकर लोगों को इसके बारे में जागरुक करने के निर्देश दिए गए।
प्रशिक्षण शिविर की खास बातें -किसानों के मुद्दे को लेकर सडक़ पर उतरेगी कांग्रेस -ब्लॉक स्तर पर किसान जागरण करेंगे कार्यकर्ता -बूथ मैनेजमेंट के साथ फ्रंटल विभाग और सेल को करेंगे मजबूत -जिला स्तर पर सोशल मीडिया और डिजिटल कम्युनिकेशन पर जोर -महिला,पिछड़ा, युवा और दलितों-अल्पसंख्यकों पर फोकस