सीटों पर फंस सकता है पेंच! सूत्रों की मानें तो कांग्रेस सपा-बसपा से गठबंधन में 15- 17 चाहती है जबकि सपा-बसपा पांच सीट से ज्यादा देने को तैयार नहीं। यहीं गठबंधन का पेंच फंस रहा है जिसे दूर करने के लिए कांग्रेस जल्द ही एक कमेटी बना सकती है। उधर कांग्रेस ने राहुल गांधी को गठबंधन का पीएम चेहरा घोषित कर 2019 लोकसभा चुनाव का शंखनाद तो कर दिया, लेकिन साथ ही सपा और बसपा को असमंजस में भी डाल दिया। सपा का कहना है कि अभी गठबंधन को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात भी नहीं हुई है। सपा प्रवक्ता सुनील सिंह ने एक न्यूज चैनल से कहा कि, “अभी तक सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से यह नहीं कहा गया है कि गठबंधन में कांग्रेस है या नहीं है और यह कांग्रेस वर्किंग कमेटी में तय हुआ है कि उनकी पार्टी का चेहरा राहुल गांधी होंगे। गठबंधन का चेहरा राहुल गांधी होंगे, ये भला कांग्रेस कैसे तय कर सकती है? कांग्रेस ने यह अकेले बैठकर तय किया है। गठबंधन के साथ नहीं।”
सपा-आरएलडी भी मायावती के पक्ष में यूपी में बसपा सुप्रीमो मायावती की अगुवाई में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन की रूपरेखा तैयार हो रही है। खुलतौर पर सपा-आरएलडी ने इसकी पुष्टी नहीं की लेकिन उन्हें मायावती के नेतृत्व से कोई परेशानी नहीं दिखती। हाल ही में बसपा नेताओं ने मायावती को ही गठबंधन का पीएम चेहरा बनाने की हुंकार भी भर दी थी।दरअसल, पिछले दिनों लखनऊ के इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में हुए बसपा जोनल स्तरीय बैठक में राष्ट्रीय संयोजक समेत तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहे। इस मौके पर मायावती को गठबंधन के प्रधानमंत्री चेहरे के तौर पर पेश किए जाने की हुंकार भी भरी गई थी। बसपा नेताओं का कहना था कि सभी क्षेत्रीय दलों ने मायावती को अपना नेता माना है।
कांग्रेस के पास दो विकल्प पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अब दो विकल्प बचे हैं। या तो किसी तरह बीच का रास्ता निकालकर कांग्रेस सपा-बसपा गठबंधन में शामिल हो जाए। या फिर उन सभी सीटों पर पार्टी अपने कैंडिडेट उतारे जिन पर वे मजबूती से बीजेपी को चुनौती दे सकती है। सूत्रों की मानें तो अगर गठबंधन नहीं होता तो कांग्रेस 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। वे इसे यूपी में ‘मिशन 50’ के तौर पर प्लान कर सकती है। जिन सीटों पर सपा-बसपा काफी मजबूत होंगे वहां कांग्रेस अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी।