इंदिरानगर निवासी शुभ्रा माथुर अपने परिवार की ‘कोरोना रक्षक’ बनकर हर सदस्य को एक दूसरे से उचित दूरी का पाठ पढ़ाना नहीं भूलती हैं । उनका मानना है कि अगर एक दूसरे से दो गज की दूरी बनाकर रखी जाए तो कोरोना वायरस के संक्रमण की जद में आने से बचा जा सकता है । घर से निकलते वक्त लोगों को इसका ख्याल रखना वह जरूर बताती हैं । वह कहती हैं कि लोगों के खांसने व छींकने से निकलने वाली बूंदों (ड्रापलेट्स) के संपर्क में आने से ही इसका खतरा बढ़ जाता है और अगर हम एक दूसरे से दो गज की दूरी बनाकर रहेंगे तो इस खतरे से अपने को सुरक्षित बना लेंगे । बड़े गर्व से अपने को द्विवेदी परिवार की ‘कोरोना रक्षक’ बताते हुए ऋचा द्विवेदी कहती हैं कि उन्हें इस कोरोना काल में मास्क की सही मायने में कीमत का अंदाजा है ।
संयुक्त परिवार में रह रहीं ऋचा का कहना है कि पिछले आठ माह से वह घर से काम के लिए बाहर निकलने वाले हर सदस्य ने मास्क से सही तरीके से मुंह और नाक को ढक रखा है कि नहीं इसका ख्याल रखना उनकी बड़ी जिम्मेदारियों में स्थान ले रखा है । हर किसी के बैग में एक अतिरिक्त मास्क भी रखना वह नहीं भूलती हैं । इसके अलावा ‘बॉय’ बोलने के साथ ही एक दूसरे से दो गज की दूरी का पालन करने और बीच-बीच में हाथ को सेनेटाइज करने का भी ध्यान दिलाती हैं । उनका मानना है कि अगर हम सही तरीके से मास्क लगाये हैं तो किसी कोरोना पाजिटिव के सम्पर्क में भी आते हैं तो भी मास्क हमारी रक्षा करेगा ।
इसी तरह से अपने को पाण्डेय फेमिली की ‘कोरोना रक्षक’ बताने वाली सुनीता पाण्डेय का कहना है कि मेरे घर की सुरक्षा स्वच्छता से शुरू होती है । बाहर से घर आने वाले हर सदस्य को जूते-चप्पल बाहर निकालने के बाद पहले साबुन-पानी से कम से कम 40 सेकेण्ड तक हाथ धुलने और फिर साबुन से पैर साफ़ करने के बाद ही घर के किसी सामान को हाथ लगाने की अनुमति है । उनका मानना है कि बाहर रहने के दौरान किसी व्यक्ति या वस्तु से संक्रमण का खतरा अच्छी तरह से हाथ-पैर धुलने से टल जाता है । इसके साथ ही बाहर निकलने पर मास्क से नाक-मुंह अच्छी तरह से ढका है तो भी संक्रमण की जद में आने का खतरा कम हो जाता है । इस तरह से जरूरी हिदायत बरत कर कोरोना से हर सदस्य को सुरक्षित बनाना अब उनकी ड्यूटी में शामिल हो चुका है ।
परिवार के हर सदस्य की इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) का खास ख्याल रखने वाली अर्चना पाण्डेय का मानना है कि हमारी रसोई औषधियों के भंडार के रूप में है, जिसका सही इस्तेमाल करके वह कोरोना ही नहीं बल्कि अन्य संक्रामक बीमारियों से परिवार को सुरक्षित बनाना अपना परम कर्तव्य मानती हैं । उनका कहना है कि सुबह परिवार के सदस्यों को गुनगुना पानी और उसके बाद काढ़ा देना वह नहीं भूलतीं । दोपहर और रात के खाने में शाकाहारी थाली में दाल, हरी सब्जी, रोटी, चावल के साथ दही और सलाद का भी प्रबंध करतीं हैं ताकि सभी की रोग प्रतिरोधक शक्ति बनी रहे और वह किसी भी संक्रमण का मजबूती से सामना कर सकें । इसके अलावा हर सदस्य को रात को हल्दी-दूध (गोल्डेन मिल्क) देकर उसकी अहमियत भी वह समझाती हैं । इस तरह देश की महिलाओं यानि आधी आबादी का कोरोना से परिवार को सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका है । इसके चलते उनका अपने को परिवार की ‘कोरोना रक्षक’ बताना सौ फीसद सही साबित होता है ।