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लखनऊ

कोरोना ने बदली सामाजिक मान्यताएं : कहीं बेटी, पत्नी तो कहीं बहू ने किया प्रियजनों का अंतिम संस्कार

-लॉकडाउन की वजह से अंतिम संस्कार में भी नहीं पहुंच सके प्रियजन-टूटी रूढिय़ा, सर्वत्र हो रही महिलाओं के साहस की प्रसंसा

लखनऊApr 06, 2020 / 01:17 pm

Neeraj Patel

कोरोना ने बदली सामाजिक मान्यताएं : कहीं बेटी, पत्नी तो कहीं बहू ने किया प्रियजनों का अंतिम संस्कार

कोरोना ने बदली सामाजिक मान्यताएं : कहीं बेटी, पत्नी तो कहीं बहू ने किया प्रियजनों का अंतिम संस्कार

लखनऊ. वैश्विक महामारी कोराना वायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया प्रभावित है। देश में लॉकडाउन है। बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी है। भगवान द्वार तक बंद हैं। बावजूद इसके जीवन-मरण का चक्र बदस्तूर जारी है। श्मशान घाट और बैकुंठ धाम के द्वार खुले हैं। लेकिन, अंतिम संस्कार की परंपराएं मजबूरी में ही सही टूट रही हैं। समाज बदल रहा है। हाल ही कई प्रियजनों को मुखाग्नि महिलाओं ने दिया। कहीं वह पत्नी थी,बेटी थी, माँ थी तो कहीं बहू।

लॉकडाउन की वजह से जिंदगी ठहर गयी है। ऐसे में कुछ लोग परलोक सिधार गए। कई घरों में ऐसा हुआ आवागमन की सुविधा न होने से पुरुष बाहर से घर नहीं आ पाये। अंतिम संस्कार तो जरूरी था। ऐसे में घर की महिलाओं ने पंरपराओं को तोडऩे की पहल की। कहीं बेटी ने पिता को कांधा दिया, कहीं मां ने बेटे का अंतिम संस्कार किया तो कहीं बहू और पत्नी ने मुखाग्नि दी।

गुडिय़ा ने तोड़ दीं रूढिय़ां

चंदौली में रविवार को गंगाघाट पर अलग ही नजारा दिखा। यहां रामनाम सत्य बोलते हुए एक महिला अपने पति के पार्थिव शरीर को कांधा देते हुए लेकर पहुंची। और पति को मुखाग्नि दी। यह अवधूत रामघाट के लिए अलग नजारा था। बबुरी नवायर की रहने वाली गुडिय़ा ने अपने पति संतोष जायसवाल को मुखाग्नि दी। जायसवाल की जिला अस्पताल में बीमारी से मौत हो गयी थी। पड़ोसी और परिवारी जन अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके तब गुडिय़ा ने हिम्मत दिखायी और कुछ लोगों के मदद से पति का पार्थिव शरीर लेकर घाट पहुंच गयी।

बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज

मुरादाबाद के शहर मझोला थाना क्षेत्र के बुद्धि विहार मोहल्ले में लॉकडाउन के दौरान महेश गुप्ता का निधन हो गया। इनका बेटा है। वह घर नहीं आ सका। गुप्ता की एक बेटी दिल्ली में थी। ऐसे में अंतिम संस्कार को लेकर सब चिंतित हो गए। ऐसे में गुप्ता की छोटी बेटी मानसी गुप्ता ने परिवारी जनों की सहमति के बाद न केवल अपने पिता की अर्थी को कांधा दिया बल्कि श्मशान घाट पर पहुंचकर पिता को मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार के सभी कार्यक्रम संपन्न करवाए।

बच्चे को गोद में लेकर बहू ने दी मुखाग्नि

देवरिया के सलेमपुर कस्बे का नजारा देखकर हर कोई महिला शक्ति का लोहा मान बैठा। यहां सुमित्रादेवी की मौत के बाद उनकी बहू ने अपने दुधमुंहे बच्चे को गोद में लेकर सासु की अर्थी को कांधा दिया। यही नही बहू नीतू ने लार थाना क्षेत्र के तिलौली गांव में बने श्मशान घाट पर 70 वर्षीय सासु को मुखाग्नि भी दी। लॉकडाउन की वजह से सुमित्रादेवी के तीनों बेटे अन्य जिलों में फंसे रह गए। लेकिन बहू नीतू ने अपना फर्ज निभाया।

हरिश्चंद्र घाट पर डोम ने नहीं दी आग

काशी में रविवार की देर शाम एक हैरान करने वाला मामला सामने आया। यहां गंगा पार इलॉके में कोरोना पॉजिटिव की मौत के बाद महा श्मशान हरिश्चंद्र घाट पर डोम राजा ने चिता को आग देने से मना कर दिया। अंतत: प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद सीएनजीयुक्त शवदाहगृह में मृतक का अंतिम संस्कार हुआ। गंगापुर इलॉके के व्यापारी की 3 अप्रेल को बीएचयू में इलाज के दौरान मौत हो गई। रविवार को जांच रिपोर्ट में वह कोरोना संक्रमित पाए गए। इसलिए डोम राजा परिवार के छोटे लाल चौधरी ने आग देने से इनकार कर दिया। आसपास के लोग भी एकत्र हो गए। लोगों का कहना था इससे संक्रमण फैल सकता है। बाद में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग से विद्युत शवदाह गृह पर अंतिम संस्कार किया गया।

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