न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने यह आदेश मुख्तार अंसारी के दो बेटों अब्बास अंसारी और उमर अंसारी की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में राजधानी की हज़रतगंज कोतवाली में उनके खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द करने की गुजरिश करते हुए आरोपियों की इस प्रकरण में गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था। इसमें शहर के डालीबाग इलाके में कथित निष्क्रान्त सम्पत्ति पर घर का नक्शा एलडीए से मंजूर कराने में फर्जीवाड़ा करने आदि के आरोप हैं।
याचियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरिगोविंद सिंह परिहार व जयदीप नारायण माथुर ने दलील दिया कि यह मामला दीवानी प्रकृति के विवाद का है और प्रश्नगत प्राथमिकी से याचियों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इसमें याचियों को इसमें राजनीतिक विद्वेष्वश है।