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लखनऊ

निजी थर्मल पॉवर प्लांटों में हुआ बड़ा घोटाला, सीएजी से कैपिटल कास्ट की जांच कराने की मांग

विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि पूरे देश में 43.9 प्रतिशत बिजली उत्पादन पर निजी क्षेत्र का कब्जा है।

लखनऊNov 12, 2017 / 08:36 pm

Laxmi Narayan

CAG Audit Demand
लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि पूरे देश में 43.9 प्रतिशत बिजली उत्पादन पर निजी क्षेत्र का कब्जा है। परिषद ने सवाल उठाया है कि जिस तरह बिजली की कीमतें लगातार बढ़ रही है, उससे उपभोक्ताओं के लिए बिजली का खर्च वहन कर पाना मुश्किल हो रहा है। परिषद का कहना है कि जिस तरह से पूरे देश व राज्यों में उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों का साम्राज्य स्थापित होता जा रहा है, उससे प्रतीत हो रहा है कि देश का उत्पादन क्षेत्र का आधा निजीकरण हो गया है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आने वाले समय में निजी घराने मनमाने तरीके से अपनी मंहगी बिजली को न चाहकर भी प्रदेश के उपभोक्ताओं पर थोपेंगे। वर्तमान में पूरे देश में कुल संस्थापित क्षमता अगस्त 2017 तक देश में लगभग 3 लाख 29 हजार 226 मेेगावाट है। इसमें पूरे देश में निजी क्षेत्र का अंश बेहद चैकाने वाला है और निजी क्षेत्र का प्रतिशत प्रत्येक वर्ष बढ़ता जा रहा है।
परिषद के अध्यक्ष और विश्व ऊर्जा काउन्सिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजी घरानों के उत्पादन गृहों के कैपिटल कास्ट की सीएजी से जांच कराने की मांग उठती है तो पूरे देश में निजी घराने हंगामा मचा देते है। उपभोक्ता परिषद केन्द्र व राज्य सरकारों से मांग करती है कि सभी निजी घरानों की सीएजी से जांच कराई जाए। देश में कुल बिजली उत्पादन क्षमता 329226 मेगावाट है जिसमें से राज्य 81652 मेगावाट, केंद्र 102933 और निजी क्षेत्र 144641मेगावाट का उत्पादन करते हैं। इनमें से राज्यों की हिस्सेदारी 24.8 प्रतिशत, केंद्र की हिस्सेदारी 31.3 प्रतिशत और निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 43.9 प्रतिशत है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी ने सोनभद्र में उत्पादन इकाईयोें का दौरा करते हुये यह वक्तव्य दिया कि राज्य सरकार प्रदेश के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराना चाहती है। यह तभी सम्भव है जब सार्वजनिक क्षेत्र में उत्पादन गृहों का निर्माण सरकार कराये। जिस तरह से प्रदेश में निजी क्षेत्र में उत्पादन गृह की दरें काफी अधिक है, उससे आने वाले समय में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध हो पाना बहुत मुश्किल है। पहले निजी घराने बिजली क्षेत्र के उच्च अधिकारियों से सांठगांठ कर अपने मन मुताबिक पावर परचेज एग्रीमेन्ट पीपीए का मसौदा तैयार कराती हैं। जब महंगी बिजली के चलते उनके खिलाफ उनके अनुबन्ध को समाप्त करने की पहल होती है तो वह पीपीए का हवाला देकर फिर से लाभ लेने की जुगत में लग जाते है। इन सभी उपभोक्ता विरोधी कार्यवाहियों पर अंकुश तभी लग सकता है जब राज्य के नियामक आयोगों की भूमिका पारदर्शी हो।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा वर्तमान में पूरे देश के उपभोक्ताओं की बिजली की अधिकतम मांग पर गौर करें तो अक्टूबर 2017 में सभी राज्यों के उपभोक्ताओं की अधिकतम मांग 161967 मेगावाट थी और उपलब्धता 157394 मेगावाट थी। आने वाले समय में पूरे देश में जब सबको 24 घंटे बिजली देने का अभियान चलेगा तो सभी महंगी बिजली पैदा करने वाले निजी घरानों की लाटरी लग जायेगी और न चाहकर भी राज्यों के उपभोक्ताओं को इस महंगी बिजली का बोझ उठाना पड़ेगा।

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