उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी ने सोनभद्र में उत्पादन इकाईयोें का दौरा करते हुये यह वक्तव्य दिया कि राज्य सरकार प्रदेश के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराना चाहती है। यह तभी सम्भव है जब सार्वजनिक क्षेत्र में उत्पादन गृहों का निर्माण सरकार कराये। जिस तरह से प्रदेश में निजी क्षेत्र में उत्पादन गृह की दरें काफी अधिक है, उससे आने वाले समय में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध हो पाना बहुत मुश्किल है। पहले निजी घराने बिजली क्षेत्र के उच्च अधिकारियों से सांठगांठ कर अपने मन मुताबिक पावर परचेज एग्रीमेन्ट पीपीए का मसौदा तैयार कराती हैं। जब महंगी बिजली के चलते उनके खिलाफ उनके अनुबन्ध को समाप्त करने की पहल होती है तो वह पीपीए का हवाला देकर फिर से लाभ लेने की जुगत में लग जाते है। इन सभी उपभोक्ता विरोधी कार्यवाहियों पर अंकुश तभी लग सकता है जब राज्य के नियामक आयोगों की भूमिका पारदर्शी हो।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा वर्तमान में पूरे देश के उपभोक्ताओं की बिजली की अधिकतम मांग पर गौर करें तो अक्टूबर 2017 में सभी राज्यों के उपभोक्ताओं की अधिकतम मांग 161967 मेगावाट थी और उपलब्धता 157394 मेगावाट थी। आने वाले समय में पूरे देश में जब सबको 24 घंटे बिजली देने का अभियान चलेगा तो सभी महंगी बिजली पैदा करने वाले निजी घरानों की लाटरी लग जायेगी और न चाहकर भी राज्यों के उपभोक्ताओं को इस महंगी बिजली का बोझ उठाना पड़ेगा।