सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े की थीम जीरो चाइल्डहुड डेथ ड्यू टू डायरिया (Zero Childhood Death due to Diarrhea) रखी गई है। बता दें कि प्रदेश में साल 2018 – 19 में भी दस्त नियंत्रण पखवाड़े का सफलतापूर्वक आयोजन किया जा चुका है। मुख्य चिकित्साधिकारियों को इस बार भी सफलतापूर्वक आयोजन कराने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। पत्र में लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख से अधिक बच्चों की मृत्यु दस्त के कारण ही होती है और बच्चों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में दूसरे स्थान पर है जिसका उपचार ओआरएस एवं जिंक की गोली मात्र से किया जाता है और बाल मृत्यु दर में कमी लाने की कोशिश की जाती है।
विकासशील देशों में अधिक व्यापक रूप से दस्त रोग मौजूद है जिसका मुख्य कारण दूषित पेयजल, स्वच्छता एवं शौचालय का आभाव तथा 5 वर्ष तक के बच्चों का कुपोषित होना है। इसलिए इस वर्ष इस पखवाड़े का उद्देश्य प्रदेश में Zero Childhood Death due to diarrhea के स्तर को प्राप्त करना है। जिसके लिए अभी से प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र लिखकर आदेश दे दिये गए हैं।
आशा कार्यकर्ताओं को मिलेगी 100 रुपए की प्रोत्साहन राशि
राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन के प्रबंधक सतीश ने बताया कि दस्त नियंत्रण पखवाड़े में यूपी के सभी जिलों की आशा कार्यकर्ता द्वारा 0-5 साल तक के सभी बच्चों वाले परिवारों को ओआरएस के पैकेट का वितरण कराया जाएगा। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर छोटे बच्चों के माता पिता से मुलाकात कर बताएंगी कि बच्चे को दस्त होने पर उसके साथ क्या चाहिए। इसके साथ ही वह स्वस्थ बच्चों के माता पिता को इस बात के लिए भी सलाह दें कि बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। दस्त नियंत्रण पखवाड़े में ड्यूटी करने वाली सभी आशा कार्यकर्ताओं को 100 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। इसके साथ ही सभी माता-पिता को अपने बच्चों की शारीरिक सफाई के अलावा शुद्ध पेयजल का भी ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक हैं।
दस्त के लक्षण
– पानी जैसा लगातार मल का होना दस्त का बड़ा कारण है।
– गर्मी के कारण बार-बार उल्टी का होना।
– सबसे ज्यादा और बार-बार प्यास का लगना।
– पानी न पी पाना भी दस्त का कारण है।
– बुखार के समय दस्त लगना।
– मल में खून का आना।