scriptMakar Sankranti 2018: काइट फ्लाइंग से लेकर सकरात तक, ये है मकर संक्रांति के अलग-अलग फ्लेवर्स | different ways of celebrating makar sankranti all over india | Patrika News
लखनऊ

Makar Sankranti 2018: काइट फ्लाइंग से लेकर सकरात तक, ये है मकर संक्रांति के अलग-अलग फ्लेवर्स

हंसी, खुशी और मस्ती भरा त्योहार माना जाने वाला मकर संक्रांति बच्चों से लेकर युवाओं और बड़ों को पसंद है।

लखनऊJan 14, 2018 / 11:42 pm

Mahendra Pratap

makar sankranti

लखनऊ. ढील दे दे रे दे दे रे भईया इस पतंग को ढील दे….। हंसी, खुशी और मस्ती भरा त्योहार माना जाने वाला मकर संक्रांति बच्चों से लेकर युवाओं और बड़ों को पसंद है। बात सिर्फ पतंग उड़ाने की नहीं होती, बात है उस उल्लास की जो चेहरे पर देखने को मिलती है।

वैसे अगर गौर करें, तो पहले की तुलना में अब मार्केट में अलग स्टाइल्स की पतंगे बिकती हैं। हां वो बात और है कि पहले फिश शेप, चाइनीज और कई शेप्स में पतंगे मिलती थीं। लेकिन अगर गौर करें, तो आजकल पतंगों पर मोदी और योगी की फोटोज बहुत लगी रहती हैं। ‘मोदी के युग में योगी का राज’ या फिर मोदी और राहुल की फोटो के साथ एक फनी सा मैसेज है कि ‘किसमें कितना है दम’। यानी कि यहां भी पॉलिटिक्स।

खैर ये तो अपना-अपना तरीका है मकर संक्राति को सेलिब्रेट करने का। यहां हम बात करेंगे कि कैसे इंडिया के अलग-अलग कोने में ये त्योहार मनाया जाता है।

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग चार दिनों तक इस त्योहार मनाते हैं। दिन को ‘भोगी’ के रूप में जाना जाता है, जब लोग पुराने घर के सामानों को फेंक देते हैं और नए सामान खरीदते हैं। सुबह में, वे सभी पुराने पदार्थों को जलाते हैं, जो कि रूद्र के ज्ञान की आग को दर्शाता है, वो भगवान शिव का एक रूप है। बच्चों को बेर के साथ उन्हें पूजा जाता है। इसे तेलुगू में रेगी पांडलू के रूप में भी जाना जाता है, उन्हें बुरी नजरों से बचाने के लिए।

इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और कुछ मीठा खाते हैं। हर घर में रंगोली और मुगू (तेलुगू) होती है। तीसरे दिन को कनूमा के नाम से जाना जाता है। इसे मवेशियों को खिलाकर मनाया जाता है। चौथे दिन को मुक्कानुमा के नाम से जाना जाता है। ये दिन परिवार वालों के साथ समय व्यतीत करने के साथ-साथ इस तरह भी मनाया जाता है कि लोग बैल रेस, पतंग उड़ना, और मुर्गा झगड़े जैसी मजेदार गतिविधियों का आयोजन करते हैं।

महाराष्ट्र

मकर संक्रांति महाराष्ट्र में एक विशाल उत्सव है। पूरे राज्य में खुशी और प्रसन्नता के साथ कम से कम तीन दिनों के लिए ये त्योहार मनाया जाता है। लोग तिलगुड़, हलवा, पुरन पोली का आदान-प्रदान करते हैं वाक्यांश “तिल-गुल घ्या, अनी देव-देवता बोला”, जिसका अर्थ है “तिलगुड़ करें और मीठा शब्द बोलो”, आदान-प्रदान करते हुए कहा जाता है।

पहला दिन भोगी के रूप में जाना जाता है, दूसरा संक्रांति के रूप में और तीसरे दिन को कनकंट कहा जाता है। हल्दी और कुमकुम लगा कर काले कपड़े पहने महिलाएं बर्तन देकर उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं।

बिहार

बिहार के लोग इस त्यौहार को दो दिन मनाते हैं। वे इसे अपने स्थानीय बोलियों में सकरात या खिचड़ी कहते हैं। यहां मकर संक्रांति के पहले दिन लोग तालाबों और नदीयों में नहा कर मीठे व्यंजनों का स्वाद लेते हैं। मीठे व्यंजनों में तिलगुड़ होता है। दूसरे दिन, जिसे मकराट कहा जाता है। ये दिन लोग खिचड़ी खा कर मनाते हैं।

गुजरात

मकर संक्रांति या उत्तरायण गुजराती लोगों के लिए प्रमुख त्योहार है। यह त्यौहार दो दिनों तक सकरात की तरह रहता है। पहले दिन को उत्तरायण कहा जाता है। काइट फ्लाइंग प्रतियोगिता पूरे राज्य में आयोजित की जाती है। शब्दों और वाक्यांशों जैसे कि “काई पो चे”, “ई लापेट”, “फ़िरकी वेट फ़िरकी” काइट फ्लाइंग के समय चिल्ला कर उत्साह मनाया जाता है। काई पो चे तब कहा जाता है, जब पतंग कटती है। अगले दिन को वासी कहा जाता है। इस अवसर को मनाने के लिए तिल के बीज, मूंगफली और गुड़ से बने चिक्की बनाये जाते हैं।

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