लखनऊ पुलिस (Lucknow Police) ने ठाकुरगंज इलाके से गुरुवार देर रात रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते चार लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में दो डॉक्टर भी शामिल हैं। उन्नाव के रहने वाले विपिन कुमार, लखनऊ के डॉक्टर अतहर, गोंडा के रहने वाले डॉक्टर सम्राट पांडे और अमेठी के रहने वाले तहजीब उल हसन के पास से पुलिस ने इंजेक्शन के 34 वॉयल और 4 लाख 69 हजार रुपए बरामद किए हैं। सभी आरोपी लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में किराये के अलग-अलग मकान में रह रहे थे।
बता दें कि पकड़े गए आरोपियों में डॉक्टर अतहर और डॉक्टर सम्राट पांडे संविदा पर काम कर चुके हैं। पुलिस की मानें तो पकड़ा गया विपिन कानपुर के एक अन्य सप्लायर थापा से इस इंजेक्शन को लेकर आता था और इसे डॉक्टर सम्राट पांडे 15 से 20 हजार रुपए में बेच रहा था। लखनऊ पुलिस को एक ऐसे ही खरीदार की सूचना पर इस पूरे नेटवर्क का सुराग मिला और गिरफ्तारी कर ली गई। शुरुआती पूछताछ में पता चला कि कानपुर का एक अन्य आरोपी थापा नामक शख्स पांच हजार रुपए में यह इंजेक्शन विपिन कुमार को बेचता था।
कानपुर कनेक्शन तलाशने में जुटी पुलिस की टीमें
इसे तहजीब उल हसन तक 5500 में और तहजीब उल डॉक्टर अतहर को 7500 में बेच रहा था। अतहर, डॉक्टर सम्राट पांडे को 10 हजार रुपए में यह इंजेक्शन बेच रहे थे। पकड़ा गया डॉक्टर सम्राट पांडे जरूरतमंद मरीजों के तीमारदारों को यह इंजेक्शन 15 से 20 हजार रुपए में बेच रहा था। पुलिस को इस मामले में कानपुर के सप्लायर थापा की तलाश है। गौरतलब है कि लखनऊ में पकड़े गए रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के नेटवर्क का मुख्य कनेक्शन कानपुर से सामने आया है। इससे पहले 15 अप्रैल को मिलिट्री इंटेलिजेंस के इनपुट पर यूपी एसटीएफ ने कानपुर से ही तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर 265 वॉयल इंजेक्शन बरामद किया था। इस मामले में लखनऊ पुलिस अब कानपुर कनेक्शन तलाशने में जुट गई है।
हर मरीज को नहीं है रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत
कोरोना पीड़ित हर मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत नहीं है। सिर्फ संक्रमित होने पर इसका उपयोग मरीज को खतरे में भी डाल सकता है। मौजूदा हालात में इस इंजेक्शन को लेकर सरकारी-निजी अस्पतालों से लेकर तीमारदार मेडिकल (Medical) दुकानों तक दौड़भाग कर रहे हैं। रेमडेसिविर की गाइडलाइन और विशेषज्ञ की राय में सिर्फ गंभीर मरीजों को ही इसे दिए जाने के निर्देश हैं। 50 फीसद से अधिक चेस्ट इंफेक्शन वाले मरीजों के लिए डॉक्टर इसे लगवाने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि इसके किडनी-लिवर के साइट इफेक्ट भी खतरनाक हैं। इसलिए हर कोरोना मरीज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन ज्यादा जरूरी नहीं है।