लखनऊ. कोरोनाकाल (coronavirus in up) में अब यह नौबत आ गई है कि लोग अपनों की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार तक करने से डर रहे हैं। लखनऊ में करीब 150 कोविड संक्रमित मृतकों (death due to corona) के साथ ऐसा ही हुआ। यह शव पोस्टमार्टम हाउस (Postmortem house) में पड़े रहे और उनके परिजन उन्हें लेना तो दूर देखने तक नहीं आए। कुछ ने घर में पूरे परिवार के बीमार होने का हवाला दिया, तो कुछ ने मरीजों से मौत के बाद मुंह ही मोड़ लिया। ऐसे लावारिस शवों का पोस्टमार्टम व अंतिम संस्कार (Cremation ceremony) कराने का बीड़ा उठाया लखनऊ स्थित पोस्टमॉर्टम हाउस के इंचार्ज प्रद्येद्र सिंह पंवार व उनकी टीम ने।
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पंवार अपनी टीम के साथ अब तक करीब 150 लावारिस शवों का पोस्टमॉर्टम कर उनका अंतिम संस्कार करवा चुके हैं। इसके लिए उन्होंने टैक्सी किराए पर ले रखी है। वह शव को गाड़ी में रखकर शवदाह गृह तक पहुंचाते हैं और अपने खर्च पर उनका अंतिम संस्कार कराते है। कोरोना मृतके के संपर्क के कारण वह और उनके साथी कई महीनों से अपने परिवार से नहीं मिल पाए हैं। और लगातार यह काम कर रहे हैं। एसडीएम ज्योत्सना के सहयोग से यह टीम इस काम में लगी है। प्रद्येद्र सिंह पंवार का कहना है कि एक बार एक कोविड संक्रमित बुजुर्ज का शव अस्पताल के पोस्टमॉर्टम के लिए आया। अगले दिन सुबह पोस्टमॉर्टम होना था। परिजनों को फोन किया तो उन्होंने आने से साफ इंकार कर दिया। कुछ परिजन आते और शवों को पहचानने से इंकार कर देते।
पंवार अपनी टीम के साथ अब तक करीब 150 लावारिस शवों का पोस्टमॉर्टम कर उनका अंतिम संस्कार करवा चुके हैं। इसके लिए उन्होंने टैक्सी किराए पर ले रखी है। वह शव को गाड़ी में रखकर शवदाह गृह तक पहुंचाते हैं और अपने खर्च पर उनका अंतिम संस्कार कराते है। कोरोना मृतके के संपर्क के कारण वह और उनके साथी कई महीनों से अपने परिवार से नहीं मिल पाए हैं। और लगातार यह काम कर रहे हैं। एसडीएम ज्योत्सना के सहयोग से यह टीम इस काम में लगी है। प्रद्येद्र सिंह पंवार का कहना है कि एक बार एक कोविड संक्रमित बुजुर्ज का शव अस्पताल के पोस्टमॉर्टम के लिए आया। अगले दिन सुबह पोस्टमॉर्टम होना था। परिजनों को फोन किया तो उन्होंने आने से साफ इंकार कर दिया। कुछ परिजन आते और शवों को पहचानने से इंकार कर देते।