उत्तर प्रदेश राजस्व बोर्ड ने सूबे के सभी एक लाख से अधिक राजस्व ग्रामों के लिए डिजिटल लैंड यूनिकोड जारी किया है। यह विशिष्ट कोड ठीक उसी तरह से काम करता है जैसे मनुष्यों के लिए आधार कार्ड। इस डिजिटल लैड यूनिकोड की वजह से अब जमीनों की हेराफेरी और इसमें किसी भी तरह का विवाद रुक जाएगा। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग में यूपी के इस प्रोजेक्ट को मजूंरी दे दी है। उत्तर प्रदेश के अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचीव, बिहार राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष भी इस मॉडल को अपनाने पर अपनी सहमति जता चुके है। बिहार के अधिकारी जल्द ही उत्तर प्रदेश भी आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के राजस्व बोर्ड के चेयरमैन रह चुके प्रदीप कुमार ने इस प्रोजेक्ट को नई दिल्ली में नीति आयोग के सामने भी रखा था। जल्द ही नीति आयोग उत्तर प्रदेश की इस प्रोजेक्ट को पूरे देश में लागू करेगा।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राजस्व बोर्ड को डिजिटल भूमि रिकॉर्ड मनाने के लिए 2018-2019 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां का भूमि डिजिटल विकास पीडीएस कोड और किसी विभाग से जोड़ा जा चुका है। अब एक क्लिक पर उत्तर प्रदेश की चारागाह भूमि जल्द निकाय की जमीन किसानों के जोतबही (खतौनी) आदि इससे जुड़ जाएंगी।