नदीम अहमद फार्रुखी एंव निवर्तमान महानगर अध्यक्ष विजय यादव के नेतृत्व में सौंपा गया।
लखनऊ , फर्रुखाबाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आवाहन पर आज जिला समाजवादी पार्टी ने केन्द्र व प्रदेश में काबिज भाजपा सरकारों द्वारा किसान व श्रमिक विरोधी विधेयकों को पारित कराने जैसे तमाम ज्वलन्त मुद्दो के विरोध में राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह को सौपां। यह ज्ञापन जिलाध्यक्ष नदीम अहमद फार्रुखी एंव निवर्तमान महानगर अध्यक्ष विजय यादव के नेतृत्व में सौंपा गया।
दिये गये ज्ञापन में सपा ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की नीतियों से किसान और श्रमिकों के हितों को गहरा आघात लगा है। इन नीतियों से कार्पोरेट घरानों को फायदा होगा। जबकि किसानों और श्रमिकों की बदहाली और बढ़ेगी। कृषि और किसान के साथ श्रमिक ही कठिन समय में देश की अर्थव्यवस्था को संभालता है।अब अन्नदाता को ही हर तरह उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है। यदि समय रहते कृषि और श्रमिक कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो प्रदेश में खेती बर्बाद हो जाएगी। और किसान और श्रमिक बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएगे।
किसानों के सम्बन्ध में भाजपा सरकारों का रवैया पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। वह खेतों से किसानों का मालिकाना हक छीनना चाहती है। इससे एमएसपी सुनिश्चित करने वाली मंण्डिया धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी। किसानों को फसल का लाभप्रद तो दूर निर्धारित उचित दाम भी नहीं मिलेगा। फसलों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर किये जाने से आढ़तियों और बढ़े व्यापारियों को किसानों का शोषण करना आसान हो जाएगा।
किसान बिल पारित होने के बाद देश का किसान केवल बंधुआ मजदूर बनकर रह गया है। जो कार्पोरेट घरानों के आगे हाथ बांधे खड़ा रहेगा। वहीं श्रमिक कानूनों के बदलाव से देश का कारोड़ों श्रमिक बेरोजगार होता जा रहा है। इससे वह पलायन को मजबूर है। श्रमिक और किसान श्रमिक विरोधी व किसान विरोधी बिल पास होने से लगातार धरना प्रदर्शन कर विरोध जता रहे है। लेकिन केन्द्र व प्रदेश में काबिज भाजपा सरकारें उनकी बात सुनने की वजाय उन पर लाठियां बरसा रही है। यूपी में कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं रह गई है। आये दिन लूट,हत्या व महिला उत्पीड़न की घटनाये हो रही है। लेकिन सरकार इन्हें रोकने में पूरी तरह नाकाम है।
समाजवादी पार्टी ने राज्य महोदय से मांग की है कि इन किसान व श्रमिक विरोधी कानून को इनके हितों की सुरक्षा के लिए वापस लेने और प्रदेश सरकार को राज्य में लागू न करने के निर्देश दिये जाए।