बाढ़ प्रभावित जिलों से होकर गुजरने वाली नदियां न सिर्फ उफान पर हैं बल्कि कई खतरे के निशान से उपर भी बह रही हैं। इनमें गोरखपुर और श्रावस्ती में राप्ती नदी, बाराबंकी, अयोध्या और बलिया में घाघरा, व खीरी में शारदा खतरे के निशान से उपर बह रही है। इसके अलावा तटबंध भी कटने शुरू हो गए हैं। आजमगढ़ में घाघरा का बंधा टूटने से कई गांव जलमग्न हो गए। उधर सरयू नदी ने भी संतकबीर नगर में रिंग बंधा तोड़ दिया जिससे बाढ़ का पानी घरों में घुस गया और गांवों का सम्पर्क टूट गया। इसी तरह गोंडा और बलरामपुर में भी नदी के तटबंधों का भी कटान हुआ, लेकिन सिंचाई विभाग ने इसे किसी तरह से रोक लिया।
बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत और बचाव के काम में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की 16 टीमों को लगाया गया है। नावों की तादाद भी बढ़ाकर 1129 कर दी गई है। 110 बाढ़ शरणालय बनाए गए हैं, जबकि अब तक 10 हजार पैकेट से ज्यादा खाद्यान्न किट बांटे गए हैं।
बाढ़ के मामलों को देख रहे इंजीनियर इन चीफ अशोक सिंह के मुताबिक घाघरा में वर्तमान समय में 3 लाख 15 हजार क्यूसेक पानी चल रहा है। इसमें एक लाख क्यूसेक की कमी आई है। गंडक में भी पानी पहले से कम हुआ है। उनके मुताबिक नदियों के जलस्तर में कमी तो आई है, लेकिन बारिश से स्थिति बदल भी सकती है। उन्होंने कहा है कि फिलहाल कहीं तटबंध नहीं टूटा है।
उधर राहत आयुक्त संजय गोयल ने कहा है कि जिन गांवों में पानी भरा है वहां नावों के जरिये राहत पहुंचाने का काम जारी है। हालांकि उन्होंने कहा है कि हालात तेजी से सामान्य हो सकते हैं, क्योंकि मौसम विभाग ने अगले दो से तीन दिनों में बारिश न होने की संभावना जताई है।