मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुशासन की ठोस नींव कानून के राज पर ही स्थापित हो सकती है। अगर कानून का राज नहीं है तो सुशासन की परिकल्पना ही अपने आप में बेईमानी है। इसलिए हम सभी को इस पर फोकस करना होगा। अपराधियों के मन में कानून का भय होगा तो स्वभाविक रूप से अपराध कम होंगे। कहा कि पिछले दो साल में इस दिशा में बेहतर काम हुआ है। दो साल पहले मैंने यह पता लगाने के लिए एक समिति बनाई थी कि क्या महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की भी समयबद्ध जांच हो रही है? जांच में सामने आया कि जनपद स्तर पर समन्वय की कमी है। अपराधी गिरफ्तार हो रहा है, समय से चार्जशीट दाखिल हो रही है, लेकिन वर्षों से मामले लंबित पड़े हैं। अगर अभियोजन समय पर किया जाता है तो आरोपी को जल्द ही सजा हो सकती है। दोषी अपराधियों को सजा दिलवाने में विवेचना-अभियोजन के बीच तालमेल बेहतर होना चाहिए। अपराध बढ़ने पर कानून को भी सख्त होना होगा।’
समय से मिला हुआ न्याय ही न्यायमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समय से मिला हुआ न्याय ही न्याय कहलाता है। उन्होंने कहा कि अंतर विभागीय समन्वय से दोषियों के खिलाफ बेहतर कार्रवाई हो सकती है। जिला न्यायाधीश के साथ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बैठकर पॉस्को के मामले की वरीयता तय करें। इससे एक अपराधी को समय से दंड दिलवा सकते हैं। मुकदमों में देरी होने पर गवाह के मुकरने से लेकर पीड़ित तक निराश हो जाता है। तत्काल सजा होने पर बड़े पैमाने पर एक सकारात्मक संदेश जाता है। एक बड़े तबके तक साफ संदेश जाता है। जब तक अपराधी के मन में भय नहीं होगा, तब तक वह कानून का सम्मान नहीं करेगा। विवेचना को सही और समय के साथ ठोस तथ्यों के साथ आगे ले जाना चाहिए। कोई बेगुनाह न फंसे, लेकिन कोई अपराधी भी न बच पाए। इसलिए समय पर विवेचना करते हुए चार्जशीट दाखिल करना है। सुशासन की स्थापना में इसकी विशेष भूमिका हो सकती है।