अतः शबरी धैर्य पूर्वक रोज राम के नाम के सहारे अपना जीवन यापन करने लगी और रोज सवेरे यही सोचती की आज मेरे प्रभु श्रीराम आएंगे तथा उसी के अनुरूप मार्ग को सजाती और कंद मूल फल एकत्रित करती।अंततः शबरी की कुटिया में श्रीराम और भाई लक्ष्मण आते हैं। अतः शबरी के धैर्य की विजय होती है और भक्त का अपने प्रभु से सरोकार होता है। शबरी अपने प्रभु को बेर खिलाती हैं। इस नाटिका के दौरान संजय शर्मा एक भजन गाते हैं ‘‘मेरी कुटिया के भाग्य खुल जाएंगे राम आएंगे राम आएंगे’ सुनाया तो लोगों के आंखों में आंसू छलक आये। बाद में राध कृष्ण के झांकी के दर्शन हुए।