भुगतान का फंस रहा था पेंच दरअसल, जिला जेल में निरुद्ध गायत्री प्रजापति मई 2019 से केजीएमयू में भर्ती थे। उन्हें रीढ़ में दर्द के साथ गंभीर संक्रमण की समस्या है। केजीएमयू प्रशासन ने इससे कई बार लिख कर बताया कि गायत्री का इलाज जेल के अस्पताल में हो सकता है। हालांकि, समय-समय पर वह चेकअप के लिए केजीएमयू आ सकते हैं। इसके बाद भी उन्हें नहीं ले जाया गया। वहीं, इस बीच भुगतान का भी मामला फंस रहा था, जिसके चलते उन्हें डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा था। शनिवार को जेल के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर गायत्री प्रजापति को अस्पताल से ले जाने की रणनीति बनी।
परिजनों ने किया हंगामा केजीएमयू के चिकित्सक ने डिस्चार्ज फॉर्म भरा, तो गायत्री के परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। वे प्राइवेट वार्ड का बकाया करीब 20 हजार देने को राजी नहीं हुए। साथ ही यह भी मांग करने लगे कि शनिवार को होने वाली एमआरआई हो जाए तब डिस्चार्ज किया जाए। हंगामा बढ़ने पर वजीरगंज पुलिस बुलाई गई। कुछ देर बाद केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार वहां पहुंचे। परिजनों को समझा कर मामला शांत कराया गया। तय हुआ कि गायत्री के परिजन बकाया दो-तीन दिन में दे देंगे।
बता दें कि सपा शासन काल में हुए खनन घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को आरोपित बनाया था। उन पर अवैध रूप से खनन करने का आरोप है। अवैध खनन के अलावा गायत्री पर गैंगरेप का भी आरोप है।