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लखनऊ

कोरोना काल में थोड़ा निर्मल हुईं थीं गंगा अब फिर बढ़ा प्रदूषण, यूपीपीसीबी की चौंकाने वाली रिपोर्ट

30 मॉनीटरिंग स्थलों में से 28 में स्थिति खराब, जल धारा में मल जनित व अन्य जीवाणुओं की भरमार
13 जगहों पर बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड मानक सीमा से अधिक

लखनऊDec 01, 2020 / 06:31 pm

रफतउद्दीन फरीद

ganga

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं कि इस बात का खूब प्रचार किया गया कि कोरोना काल में लाॅक डाउन में गंगा के प्रदूषण (Ganga Pollution) में अभूतपूर्व कमी आयी है। पर यह थोड़े दिन की खुशी निकली। यूपीपीसीबी की रिपोर्ट ने इस खुशी को काफूर कर दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा की निर्मलता बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Uttar Pradesh Pollution Control Board) बिजनौर से लेकर गाजीपुर तक जिन 30 जगहों पर गंगा के प्रदूषण की माॅनिटरिंग (Ganga Pollution Monitoring) करता है। इन जगहों पर गंगा जल को तय मानकों पर परखा जाता है और यह देखा जाता है कि उनमें खतरनाक जीवाणु और प्रदूषण का स्तर कितना है। उनमें से 28 माॅनिटरिंग सेंटरों पर प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब और चिंताजनक मिली है। मलजनित और दूसरे जीवाणुओं की भरमार पाई गई है। ये जीवाणु उन जगहों पर भी बढ़े हैं जो तीर्थ स्थल कहे जाते हैं। 13 स्थानों पर बीओडी यानि बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biochemical Oxygen Demand) भी मानक से काफी अधिक पाया गया है।


कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने के बाद जब 24 मार्च से पूरे देश में लाॅक डाउन लगा दिया गया तो इसका पर्यावरण पर भी असर पड़ा और प्रदूषण कम हुआ। गंगा की निर्मलता में भी हैरान कर देेने वाला इजाफा हुआ। पर लाॅक डाउन में ढील दिये जाने के बाद से स्थिति फिर बदलने लगी और हालात बेहद खराब हो गए।

 

https://youtu.be/BDrfnBWulLI

 

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उसके 30 माॅनिटरिंग सेंटरों में से 13 ऐसे हैं जहां गंगा की गुणवत्ता सी कैटेगरी की यानि असंतोषजनक पाई गई है। 15 सेंटरों पर हालात और खराब मिले हैं। इनपर प्रदूषण की स्थिति डी कैटेगरी की मिली है। ये हालात तब हैं जब गंगा का प्रदूषण दूर कर उसकी निर्मलता और अविरलता बहाल करने के लिये विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं।

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यूपीपीसीबी के जारी आंकड़े गंगा में प्रदूषण पर नियंत्रण के दावों के बिल्कुल उलट हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदूषण थम नहीं रहा। स्थिति और अधिक खराब होती जा रही है। रिपोर्ट में अक्टूबर 2018 व अक्टूबर 2020 के जल गुणवत्ता आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन विश्लेषण करने पर 50 प्रतिशत माॅनिटरिंग स्थलों पर प्रदूषण काफी बढ़ा हुआ मिला। बोर्ड की ओर से अक्टूबर के महीने में गढ़मुक्तेश्वर के ब्रिज घाट और बदायूं के कछला घाट में की गई जांच में जल की गुण्वत्ता बी श्रेणि की मिली यानि बोर्ड के तय मानक के मुताबिक यहां पानी आचमन व नहाने के लायक है। हालांकि बाकी 28 की स्थिति बेहद खराब है।


गंगा ही नहीं सूबे की दूसरी नदियों और तालों में भी प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब हुई है। पिछले दो सालों के बीच यूपी की राम गंगा, गोमती, वरुणा, हिंडन नदियों में भी प्रदूषण बेहद बढ़ा है। गोरखपुर के रामगढ़ ताल, उरई के माहिल तालाब और झांसी के लक्ष्मी तालाब के पानी की गुणवत्ता भी बेहद खराब हुई है।

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