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लखनऊ

विश्वविद्यालयों के शैक्षिक स्तर में सुधार के लिए पेश की गई रिपोर्ट, जानें क्या बोले गवर्नर

विश्वविद्यालयों में शैक्षिक सुधार के लिए राज्यपाल व कुलाधिपति राम नाईक द्वारा गठन की गई कमेटी की ओर से एक तुलनात्मक अध्ययन रिपोर्ट पेश की गई

लखनऊApr 23, 2018 / 07:41 pm

Prashant Srivastava

ram naik
लखनऊ. विश्वविद्यालयों में शैक्षिक सुधार के लिए राज्यपाल व कुलाधिपति राम नाईक द्वारा गठन की गई कमेटी की ओर से एक तुलनात्मक अध्ययन रिपोर्ट पेश की गई जिसमें यूपी की उच्च शिक्षा में शैक्षिक स्तर पर सुधार की जरूरत पर विशेष जोर दिया गया। सोमवार को राज्यपाल राम नाईक ने रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट की कॉपी सीएम योगी और डिप्टी सीएम व उच्च शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा को भी भेजी गई है-
रिपोर्ट में इन बिंदुओं को उठाया गया-

– विश्वविद्यालय के विवादों के निस्तारण हेतु न्यायाधिकरण की स्थापना की जाए अथवा कुलाधिपति कार्यालय को अधिक सशक्त बनाया जाए।
-कुलपति पद की शैक्षिक अर्हताओं, शोध, शैक्षिक एवं प्रशासनिक अनुभव का प्रावधान अधिनियम में किया जाए।
– उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के तहत कुलपति की खोज हेतु गठित की जाने वाली खोज समिति के सदस्यों की अर्हताओं का उल्लेख हो तथा यथासम्भव शिक्षा के क्षेत्र में योगदान करने वाला प्रख्यात शिक्षाविद हो, ताकि सुयोग्य महानुभाव का कुलपति पद के लिए चयन किया जाना सम्भव हो सके।
– पारदर्शिता के उद्देश्य से खोज समिति द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया तथा इसकी समय सीमा का प्रावधान संबंधित अधिनियम में किया जाए।
– कुलपति पद की सेवा शर्तें यथा अवकाश, भ्रमण तथा उनके विरूद्ध की जानी वाली अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया का प्रावधान किया जाए।
– कुलपति द्वारा सम्पादित कार्यां के मूल्यांकन की प्रक्रिया स्थापित की जाए।
– विश्वविद्यालय अधिकारियों यथा-कुलसचिव, वित्त नियंत्रक/वित्त अधिकारी, परीक्षा नियंत्रक आदि महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का अधिकार प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए कुलपति को दिया जाए अथवा नियत समय के लिए कुलपति की सहमति से शासन द्वारा नियुक्ति की जाए।
– विश्वविद्यालयीन प्रशासनिक मुद्दों में यथासम्भव शासन का हस्तक्षेप सीमित हो एवं सरकार एक सुविधाकर्ता की भूमिका में रहे ताकि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को सुनिश्चित किया जा सके।
– स्ववित्तपोषित कार्यक्रमों के तहत नियुक्त शैक्षिक एवं गैरशैक्षिक कर्मियों की सेवा शर्तों को विश्वविद्यालय अधिनियम एवं परिनियमों का अंग बनाया जाए।
– विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पारित विनियमों का अंगीकरण प्राथमिकता पर किया जाए, ताकि शिक्षकों की नियुक्ति एवं प्रोन्नति संबंधी विवादों को नियंत्रित किया जा सके।
– पारदर्शी कार्यप्रणाली बनाने के लिए प्रवेश से लेकर उपाधि प्रदान करने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाए।
– नैक मूल्यांकन को आवश्यक किया जाए तथा शासन से वित्तीय सहायता की निरन्तरता के लिए इसे अनिवार्य किया जाए।
– कार्य परिषद् एवं विश्वविद्यालय सभा में नामित किए जाने वाले जनप्रतिनिधि शिक्षा के क्षेत्र से संबंध रखने वाले हों।
– कार्य परिषद्/प्रबंध मण्डल एवं विश्वविद्यालय सभा की बैठकों में नामित प्रतिनिधि स्वयं अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करें, ताकि इन बैठकों के निर्णयों की सार्थकता रहे और प्रकरणों का निस्तारण यथाशीघ्र हो सके।
– शिक्षा की गुणवत्ता हेतु शोध कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए तथा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के साथ अनुबन्ध स्थापित किए जाए।
फीस नियंत्रण और प्राइवेट यूनिवर्सिटी को नियमों के दायरे में लाने को लेकर राज्यपाल राम नाईक का बयान – शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शोध कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए, कई जगह ऐसा होता है कि कक्ष सही नही हैं लेकिन कॉलेज चल रहा है।

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