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लखनऊ

जानें राज्यपाल राम नाईक का क्या है इमरजेंसी और वोटिंग का कनेक्शन

त्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने सोमवा सुबह मुंबई पहुंचकर विधान परिषद मुंबई स्नातक क्षेत्र के चुनाव में अपना मतदान किया।

लखनऊJun 25, 2018 / 07:30 pm

Prashant Srivastava

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जानें राज्यपाल राम नाईक का क्या है इमरजेंसी और वोटिंग का कनेक्शन

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने सोमवा सुबह मुंबई पहुंचकर विधान परिषद मुंबई स्नातक क्षेत्र के चुनाव में अपना मतदान किया। राज्यपाल ने मतदान के लिये पोस्टल बैलेट की मांग की थी लेकिन चुनाव आयोग के अनुसार इस मतदान में ऐसी व्यवस्था न होने की बात कहकर मना कर दिया गया था।
राज्यपाल ने इस दौरान पुराने किस्से याद करते हुए कहा कि ‘मुंबई स्नातक क्षेत्र के चुनाव से उनका पुराना संबंध रहा है। भावनात्मक संबंध का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ‘आज 25 जून है और आपातकाल को 43 वर्ष पूरे हो गये। यह संयोग है कि 2018 के चुनाव भी 25 जून को हो रहे हैं।
इमरजेंसी के वक्ता तत्कालीन भारतीय जनसंघ के मुंबई पदाधिकारियों में से केवल दो लोग गिरफ्तार नहीं हो पाये थे। उनमें से एक श्री राम नाईक मुंबई जनसंघ के संगठन मंत्री थे। इसी कालावधि में 1976 में मुंबई स्नातक क्षेत्र के चुनाव का ऐलान हुआ और उसकी पूरी जिम्मेदारी राम नाईक ने स्वीकार की। उस समय मुंबई ग्रेज्युएट विधान परिषद के दो स्थान रिक्त थे। जनसंघ के उम्मीदवार स्व. प्रो. ग. भा. कानिटकर ने जेल से ही उम्मीदवारी का पर्चा भरा। दूसरे उम्मीदवार डाॅ. वसंत कुमार पंडित, जनसंघ के महाराष्ट्र प्रदेश के अध्यक्ष थे परंतु स्वास्थ्य कारणों से सरकार द्वारा उन्हें जेल में नहीं भेजा गया था। चुनाव प्रचार का प्रबन्ध श्री राम नाईक के नेतृत्व में उन कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया जिन्हें जेल में बंद नहीं किया गया था और इन दोनों ही स्थानों पर जनसंघ को पहले दौर की मतगणना में जीत हासिल हुई थी।

राम नाईक ने कहा कि वे मुंबई के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में हमेशा सक्रिय रहे तथा प्रत्येक चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। कैंसर जैसे बीमारी से पीड़ित होते हुए भी श्री नाईक ने 1994 में मतदान किया था और वह भी मुंबई ग्रेज्युएट कांस्टीटयुऐंसी के लिए। उस समय भाजपा-शिवसेना का गठबंधन था और उम्मीदवार श्री प्रमोद नवलकर थे। कैंसर जैसे रोग से पीड़ित होते हुए भी उनके द्वारा किए गए मतदान के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए उम्मीदवार श्री प्रमोद नवलकर ने इस मतदान को ‘रुक्मिणी द्वारा तुलसी पत्र चढ़ाने’ से इसकी तुलना की थी, अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए श्री नाईक ने बताया।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग द्वारा असमर्थता व्यक्त किये जाने के कारण राज्यपाल राम नाईक को मतदान के लिये मुंबई जाना पड़ा। इसके लिये उन्हें और उनके परिसहाय की वायुयान यात्रा हेतु रूपये 53,000/- व्यय करने पड़े। उन्होंने कहा कि विधान परिषद के लिये डाक मतदान की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु वे अपने प्रयास जारी रखेंगे।
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