राम नाईक ने कहा कि वे मुंबई के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में हमेशा सक्रिय रहे तथा प्रत्येक चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। कैंसर जैसे बीमारी से पीड़ित होते हुए भी श्री नाईक ने 1994 में मतदान किया था और वह भी मुंबई ग्रेज्युएट कांस्टीटयुऐंसी के लिए। उस समय भाजपा-शिवसेना का गठबंधन था और उम्मीदवार श्री प्रमोद नवलकर थे। कैंसर जैसे रोग से पीड़ित होते हुए भी उनके द्वारा किए गए मतदान के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए उम्मीदवार श्री प्रमोद नवलकर ने इस मतदान को ‘रुक्मिणी द्वारा तुलसी पत्र चढ़ाने’ से इसकी तुलना की थी, अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए श्री नाईक ने बताया।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग द्वारा असमर्थता व्यक्त किये जाने के कारण राज्यपाल राम नाईक को मतदान के लिये मुंबई जाना पड़ा। इसके लिये उन्हें और उनके परिसहाय की वायुयान यात्रा हेतु रूपये 53,000/- व्यय करने पड़े। उन्होंने कहा कि विधान परिषद के लिये डाक मतदान की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु वे अपने प्रयास जारी रखेंगे।