गोमती नदी के बढ़ते प्रदूषण पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से तलब की रिपोर्ट
लखनऊ. गोमती नदी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रदूषण के स्टेटस को लेकर रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट में यह बताना होगा कि कितने नाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़े गए हैं और क्या अब भी सीवेज का पानी ट्रीट किए बिना ही गोमती में बहाया जा रहा है? सीवेज को सीधे गोमती में बहने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार, नगर निगम, जल निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह रिपोर्ट 10 दिन के अंदर सौंपनी होगी। मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी।
2003 से लंबित जनहित याचिका जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और जस्टिस मनीष माथुर की बेंच ने यह आदेश सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के नाम से साल 2003 से लंबित जनहित याचिका पर दिया है। इसमें गोमती को प्रदूषण मुक्त करने का मुद्दा उठाया गया था। इसके लिए समय-समय पर कोर्ट में आदेश जारी किए गए थे।
उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने बीते जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 के बीच गोमती को कई जगहों से मॉनिटर किया। यहां पर बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड, टोटल कॉलीफॉर्म जीवाणु और मलजनित जीवाणुओं की नापजोख की गई। रिपोर्ट में पाया गया कि इन स्थानों पर गोमती खराब से अत्यंत खराब की श्रेणी में आ गई है। गोमती नदी ‘सी’ से ‘ई’ कैटेगरी में आ गई है।